कोलकाता : कलकत्ता हाईकोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए कहा है कि अब से कार्यस्थलों में समलैंगिक यौन उत्पीड़न की शिकायतों को भी स्वीकार किया जाएगा। अगर कोई महिला अन्य महिला सहकर्मी के खिलाफ यौन उत्पीड़न की शिकायत लेकर आती है तो उसे स्वीकार कर लिया जाएगा। इसी तरह एक पुरूष दूसरे पुरूष सहकर्मी के खिलाफ ऐसी शिकायत दर्ज करा सकता है।
एक मामले पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति सब्यसाची भट्टाचार्य की एकल पीठ ने यह फैसला सुनाया। इस मुद्दे पर दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं में काफी बहस हुई। दोनों तरफ की दलीलों पर गौर करने के बाद हाईकोर्ट ने यह निर्णय सुनाया। हाईकोर्ट के अनुसार 2013 अधिनियम की धारा नौ में समलैंगिकता के आरोपों के बारे में कुछ नहीं कहा गया है इसलिए एक-दूसरे के खिलाफ शिकायत की जा सकती है।
भले ही शिकायत करने वाले एक ही लिंग के कयों न हों। जहां समान लिंग वालों में विवाह को वैध बनाने की बात की जाती है, वहां यौन-उत्पीड़न भी स्वीकार्य होगा। गौरतलब है कि कार्यालयों में इस तरह के भी कई मामले सामने आ रहे हैं। इसे लेकर स्पष्ट निर्देश नहीं होने के कारण शिकायतें दर्ज नहीं की जाती थीं।