68 छात्र-छात्राएं बनेंगे डॉक्टर-इंजीनियर
दंतेवाड़ा: नक्सलियों के गढ़ दंतेवाड़ा में बदलाव की बयार बह रही है। दंतेवाड़ा की युवा पीढ़ी ने बदलाव के लिए शिक्षा को चुना है। इसका असर भी दिख रहा है। दंतेवाड़ा के 68 छात्र-छात्राएं डॉक्टर और इंजीनियर बनेंगे। इनमें ड्रॉपर्स बैच से भी बच्चे शामिल हैं, जिन्होंने अपना सपना साकार किया है। नीट और जेईई की परीक्षा पास करने के बाद छात्र-छात्राओं की खुशी देखी जा सकती है। दंतेवाड़ा से पहली बार इतनी बड़ी संख्या में छात्र-छात्राओं ने सफलता हासिल की है। 68 सफल छात्र-छात्राओं में अधिकांश बच्चे ऐसे हैं, जिन्हें 12वीं तक की पढ़ाई के लिए पर्याप्त सुविधाएं नहीं मिली हैं। दरअसल, सभी छू लो आसमान संस्था में पढ़ाई करते थे। दंतेवाड़ा कलेक्टर विनीत नंदनवार ने कहा कि हमने पिछले साल इसकी शुरुआत की थी। अधिकांश बच्चे ऐसे होते हैं, जिनकी पढ़ाई अच्छी नहीं होती है। हमने वैसे बच्चों को सेकंड चांस दिया था। पहली बार रिजल्ट इतना अच्छा आया है। कलेक्टर ने कहा कि इनमें 47 बच्चे ड्रॉपर्स बैच के हैं।कलेक्टर ने कहा कि बच्चों के सामने सबसे बड़ी समस्या होती है कि उन्हें करना क्या है। कोई गाइड करने वाला नहीं होता है। कलेक्टर विनीत नंदनवार ने कहा कि मैंने इसे झेला है। मैंने जिले में करीब 2000 से अधिक बच्चों को गाइड किया है। उन्हें मैं बताया कि कैसे आपको पढ़ाई करनी है। इन्हीं चीजों को लेकर हमने मार्गदर्शन कार्यक्रम चलाया है। दंतेवाड़ कलेक्टर विनीत नंदनवार ने बताया कि नक्सल प्रभावित इलाकों से 68 बच्चों ने NEET और JEE में सफलता हासिल की है। उन्होंने बताया कि यह अब तक की सबसे बड़ी उपलब्धि है। इसमें ऐसे बच्चे शामिल हैं जिन्हें 12वीं तक की शिक्षा के लिए पर्याप्त सुविधाएं भी नहीं मिली। वहीं, एक सफल छात्रा ने कहा कि यहां अलग से पढ़ाई होती है। उसमें मैंने अलग से रुचि दिखाई है। नीट और जेईई की परीक्षा बहुत कठिन होती है। हम सभी बहुत पिछड़े इलाके से आते हैं। प्रशासन की मदद से हमें बहुत अच्छे शिक्षक मिले। यहां कोई शुल्क नहीं लिया जाता है। अब हमारे सपने पूरे होंगे।