कभी धूप में सिर्फ प्लेन को देखने खड़ी होती थी, अब बनी पहली महिला पायलट

रायपुर.बचपन में आसमान में उड़ते प्लेन को घर से बाहर भागकर देखकर खुश होने वाली टि्वंकल अब खुद प्लेन उड़ाएंगी। अपनी ट्रेनिंग खत्म कर अब टि्वंकल छत्तीसगढ़ की पहली कमर्शियल पायलट बन चुकी हैं।

ट्विंकल वन विभाग में अफसर प्रभाकर नागदेवे की बेटी हैं। प्रभाकर बताते हैं कि बचपन से टि्वंकल को प्लेन का बड़ा क्रेज था। वह प्लेन को सिर्फ देखने के लिए धूप में खड़ी होकर प्लेन के गुजरने का इंतजार किया करती थी। भिलाई से स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद टि्वंकल  का सलेक्शन इंदिरा गांधी राष्ट्रीय उड़ान अकादमी में हुआ। वो कहती हैं कि प्लेन उड़ाना उसका पैशन है। उन्होंने कुछ समय तक इंस्टीट्यूट में बतौर इंस्ट्रक्टर भी काम किया। अब वो यात्री विमान उड़ाएंगी।

सिर्फ यही बन सकते हैं पायलट

फ्लाइंग के लिए सरकारी के अलावा देश में कुछ प्राईवेट ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट भी हैं। यहां ट्रेनिंग के बाद फ्लाइंग के लिए पहले प्राईवेट पायलट लायसेंस जारी होता है। ऐसे पायलट छोटे विमान उड़ाते हैं। पैसेंजर एयरक्राफ्ट सिर्फ कमर्शियल पायलट लाइसेंस हासिल करने वाले पायलेट्स ही उड़ा सकते हैं। इसके लिए मैथ और फिजिक्स में 12वीं में कम से कम 50 परसेंट मार्क होने चाहिए। आई साइट 6/6 वाले ऐसे पायलट जो प्राइवेट एयरक्राफ्ट उड़ाने का कम से कम 150 घंटे का एक्सपीरियंस रखते हों। उनके पास कम से कम 50 घंटे तक लीड पायलट रहने का एक्सपीरियंस भी होना चाहिए, तभी उन्हें कमर्शियल पायलट लाइसेंस दिया जा सकता है।

 

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