ऐ वर्ष 23
तुझमें कुछ ख़ास नहीं
ये तो पिटारा है
पिछले हिसाब का
वही सुबह वही दिन वही रात
फिर वही रोज़ के काम
ऐ वर्ष 23
मत कर गुमान
ये तो बदले कैलंडर में
फिर से दोहराने के दिन हैं
ऐ वर्ष 23
मत रह अंजान
सोमवार हो या रविवार
आदमी के अपने पैमाने हैं
तुम सिर्फ नंबर हो
ऐ वर्ष 23
कुछ लोग पैदा होते हैं
कुछ अपनी उम्र गिनते हैं
कुछ मरते हैं
यूँ ही तुम भी आगे बढ़ते हो
ऐ वर्ष 23
लोग खुशियाँ मनाते हैं
गमों से दूर
एक रात को गुलज़ार करते हैं
तुम इस साल की तरह फिर आना ।।