कोलकाता । केंद्र सरकार के एमएसएमई मंत्रालय के कोलकाता में स्थित एमएसएमई डेवलपमेंट एंड फैसिलिटेशन दफ्तर की ओर से कोलकाता के भारतीय संग्रहालय में निर्यात के मौके और व्यवसाय के अवसरों पर एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी / कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस राष्ट्रीय स्तर की संगोष्ठी का उद्देश्य निश्चित क्षमता निर्माण के दृष्टिकोण के साथ प्रतिभागियों में उत्साह का एक नया स्तर स्थापित करना है। डिजिटल प्रौद्योगिकियों में निर्यात के अवसरों के साथ बाजार दिन-ब-दिन बड़ा और वृहद होता जा रहा है। भारतीय उद्यमी पहले की तुलना में कहीं ज्यादा आगे बढ़ रहे हैं। नये अवसरों को लेकर इनमें नए विचार पनप रहे हैं। इस संगोष्ठी का मकशद एमएसएमई के उद्यमियों को निर्यात के क्षेत्र में भविष्य की संभावनाओं के बारे में संवेदनशील बनाना और व्यापारिक संभावनाओं की खोज के साथ इसे दुनिया तक पहुंचना है।
इस राष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्घाटन डी. मित्रा (आइईडीएस, संयुक्त निदेशक और एचओओ, एमएसएमई-डीएफओ, कोलकाता), डॉ. वी. शिवकुमार (निदेशक, खादी और ग्रामोद्योग आयोग, केवीआईसी, एम/ओ एमएसएमई, भारत सरकार, कोलकाता), देबदत्त नंदवानी (क्षेत्रीय प्रमुख, फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गनाइजेशन, पूर्वी क्षेत्र, कोलकाता) और पार्थ चौधरी (संयुक्त निदेशक, एमएसएमई निदेशालय, पश्चिम बंगाल, कोलकाता) ने संयुक्त रुप से किया।
मौके पर डी मित्रा (आईईडीएस, संयुक्त निदेशक और प्रमुख, एमएसएमई-डीएफओ, कोलकाता) ने पश्चिम बंगाल राज्य के लिए एमएसएमई क्षेत्र से जुड़े उद्यमियो के लिए विशेष लाभों को लेकर इस कार्यक्रम के आयोजन को सराहनीय कदम बताया। उन्होंने यह भी कहा कि सेमिनार में लगभग 200 एमएसएमई ने भाग लिया। मित्रा ने कहा, केंद्र सरकार की ओर से सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) द्वारा निर्यात बढ़ाने के लिए कई उपाय किए जा रहे हैं। विदेशों में अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शनियों, व्यापारिक मेलों, क्रेता-विक्रेता बैठक आदि में एमएसएमई की भागीदारी और इसकी सुविधा के लिए कई कारगर कदम उठाये जा रहे हैं।
सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों के विकास के लिए मंत्रालय के विभिन्न विषयों और गतिविधियों के तीन पूर्ण सत्र थे। उद्यम पंजीकरण और जेडइडी पंजीकरण के लिए एक विशेष शिविर ने भी उद्यमों की काफी सहायता की।