नाम – स्वाति शर्मा
ची – ची – ची – ची गाना गाते
न सोते हैं न जगते है वो ।
एक हमारी धरती प्यारी
नदी – नदी है क्यारी क्यारी।
वर्षा ऋतु आ रहा है
पुरी दुनियां में खुशहाली
छा रहा हैं ।
पेड़ पौधे नाच रहे हैं
उनकी है ये इच्छा सारी।
पक्षी गाना गा रहे है
ची -ची- ची – गुटर- गू
ये है हमारी उपवन की शोभा सारी।
प्यारी मां
मां तू जन्नत का फूल है,.
प्यार करना उसका उसूल है।
मैं जब भी इस धरती पर आऊँ,
बस मेरी मां की ही गोद पाऊँ।
मां के चरणों में जन्नत है हमारा,
मां के खुशी में खुशी है हमारा।
तुझे छोड़कर मां मैं कहां जाऊँ,
हर जन्म में तुझे ही अपनी मां पाऊ।
दुनिया की मोहब्बत फिजूल है,
मां की हर दुआ कबूल है।
प्यार का मतलब तुम से ही जाना है,
तभी तो तुम्हें अपना खुदा माना है।
विद्यालय – सेठ सूरजमल जालान बालिका विद्यालय
कक्षा – 6