नयी दिल्ली । भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास को गवर्नर ऑफ दि ईयर के सम्मान से सम्मानित किया गया है। सेंट्रल बैंकिंग ने उन्हें यह सम्मान दिया है ।
आरबीआई के पूर्व गवर्नर उर्जित पटेल के इस्तीफे के बाद शक्तिकांत दास आरबीआई गवर्नर बनाये गए थे । उसके बाद कोरोना महामारी, रूस-यूक्रेन युद्ध और आर्थिक स्लोडाउन जैसी चुनौतियों के साथ अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने सफलतापूर्वक निपटा है ।
सेंट्रल बैकिंग पब्लिकेशन पब्लिक पॉलिसी और फाइनैंशियल मार्केट से जुड़ी पब्लिकेशन कंपनी है जिसकी नजर दुनिया भर के सेंट्रल बैंकों और अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों पर रहती है। इससे पहले 2015 में सेंट्रल बैंकिंग आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन को भी गवर्नर ऑफ दि ईयर के सम्मान से सम्मानित कर चुकी है । अपने अवार्ड नोट में सेंट्रल बैंकिंग ने कहा कि भारत का जीडीपी 10 वर्ष में 90 फीसदी बढ़ा है । प्रति व्यक्ति आय में 70 फीसदी की बढ़ोतरी आई है. प्रति व्यक्ति आय 2400 डॉलर प्रति वर्ष हो गया है जो 2010 में 1000 डॉलर हुआ करता था ।
कोरोना महामारी के दौरान आरबीआई अर्थव्यवस्था को संकट से बचाने से लेकर उसे गति देने के लिए बेंचमार्क लेंडिंग रेट्स में कटौती की थी । साथ ही आम लोगों को कुछ महीने के लिए ईएमआई नहीं देने से छूट के फैसले के साथ ब्याज में राहत दी गयी थी । सेंट्रल बैंकिंग ने कहा कि कोविड महामारी जैसे संकट से निपटने में शक्तिकांत दास का बड़ा प्रभाव था । डर और भय के बीच बीच बेहद शांत आवाज के रूप में दिखाई देते रहे. राजनीतिक दबाव और आर्थिक संकट के बीच अपने फैसलों के जरिए उन्होंने संतुलन बनाए रखा।
शक्तिकांत दास के कार्यकाल के दौरान ही देश में यूपीआई पेमेंट का विस्तार बढ़ता चला गया । डिजिटल पेमेंट के क्षेत्र में भारत अग्रणी बनता चला गया । क्रिप्टोकरेंसी के बेहद खिलाफ दास रहे हैं। हाल ही आरबीआई ने उनके नेतृत्व में सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी को लॉन्च किया है। शक्तिकास दास को लगातार दूसरी बार आरबीआई गवर्नर के तौर पर एक्सटेंशन दिया गया है ।