Monday, March 10, 2025
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आईएएस के लिए हो प्रायोगिक  प्रशिक्षणः डॉ. राजाराम त्रिपाठी

-प्रो. एसबी राय ने दिया साहित्य के छात्रों के लिए इंटर्नशिप पर जोर

– पैरोकार पत्रिका व इबराड ने आयोजित की दो दिवसीय संगोष्ठी व प्रतियोगिता

कोलकाता । प्रख्यात जैविक कृषि वैज्ञानिक डॉ. राजाराम त्रिपाठी ने कहा है कि उच्च शिक्षा के सभी छात्र-छात्राओं समेत साहित्य के विद्यराथी  के लिए प्रायोगिक प्रशिक्षण( इंटर्नशिप) जरूरी है। यहां तक कि आइएएस के लिए भी प्रायोगिक प्रशिक्षण होना चाहिए। परिश्रम से करके कुछ युवा आईएएस अधिकारी बन जाते हैं। लेकिन पहली बार कलेक्टर के पोस्ट पर आसीन होने के बाद उन्हें बहुत कुछ सीखने की जरूरत पड़ती है। पहले से प्रायोगिक प्रशिक्षण लेने के बाद आइएएस अधिकारी कहीं भी पहली बार पदासीन होने पर बेहतर काम करेंगे और सरकारी योजनाओं को दक्षता के साथ मूर्त रूप दे सकेंगे। डॉ. त्रिपाठी ने पैरोकार पत्रिका और इंडियन इंस्टीच्यूट ऑफ सोशल-बायो साइंस रिचर्स एंड डेवलपमेंट( इबराड) की ओऱ से नई शिक्षा नीतिः हिंदी साहित्य में प्रायोयिग प्रशिक्षण का महत्व विषय पर आयोजित राष्ट्रीय सेमिनार में बतौर प्रधान अतिथि यह बातें कही। उन्होंने कहा कि हिंदी साहित्य में भी प्रायोगिक प्रशिक्षण का महत्व है। वैश्वीक बाजार का व्यापक विस्तर होने के साथ हिंदी का महत्व बढ़ा है। चीन जैसे देश में हिंदी की पढ़ाई हो रही है। भाषांतर और अनुवाद के लिए कृतिम मेधा(एआई) और कंप्यूटर आधारित तकनीक का विकास हुआ है। कृतिम मेधा हमारे लिए जोखिम भी पैदा करेगा। इसलिए तकनीक के प्रयोग के साथ साहित्य के क्षेत्र में भी अब प्रायोगिक प्रशिक्षण जरूरी हो गया है। अपने अध्यक्षीय भाषण में इबराड के चेयरमैन प्रो. एसबी राय ने कहा कि साहित्य में इंटर्नशीप के महत्व को समझाने के लिए स्कूली स्तर पर शिक्षकों के लिए कार्यशालाएं आयोजित करने की जरूरत है। सेमिनार में बतौर वक्ता रेशमी पांडा मुखर्जी (एसोसिएट प्रो. गोखले मेमोरियल गर्ल्स कॉलेज) ने साहित्य के विभिन्न क्षेत्रों में इंटर्नशिप के हमत्व को विस्तार से रेखांकित किया। विद्यासागर कॉलेज फार वुमेन के सहायक प्राध्यापक अभिजीत सिंह ने पीपीटी के माध्यम से अनुवाद से लेकर सामग्री लेखन, फिल्म लेखन और दक्षता विकास में साहित्य में इंटर्नशिप के महत्व पर प्रकाश डाला। योगेशचंद्र चौधरी कॉलेज की सहायक प्रध्यपिका ममता त्रिवेदी ने कहा कि साहित्य में इंटर्शनशिप को सिर्फ रोजगार प्राप्त करने से जोड़कर ही नहीं देखा जाना चाहिए। इस मौके पर डिजिटल युग में सामाजिक संबंधों के नए रूप शीर्ष से हिंदी निबंध प्रतियोगिता आयोजित की गई जिसमें 36 छात्र-छात्राओं ने भाग लिया। निबंध प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्त करने वाले अभिषेक कोहार, द्वितीय स्थान प्राप्त करनेवाली शालिनी पांडेय और तृतीय स्थान प्राप्त करनेवाली नंदिनी कुमारी को इबराड की ओर से प्रमाण पत्र और स्मृति चिन्ह देकर पुरस्कृत किया गया। कार्यक्रम का संचालन पैरोकार के प्रधान संपादक अनवर हुसैन और पत्रकार राजेश ने किया। धन्यवाद ज्ञापन बिमल शर्मा ने किया। यह सेमिनार दो दिवसीय 25-26 फरवरी को पैरोकार साहित्य महोत्सव के समापन के मौके पर किया गया। महोत्सव में छत्तीसगढ़ के डॉ. राजाराम त्रिपाठी को पैरोकार साहित्य शिखर सम्मान से, युवा नाटककार डॉ. मोहम्मद आसिफ आलम को पैरोकार नाट्य सम्मान से, शंकर जालान को पैरोकार पत्रकारिता सम्मान और सीमा गुप्ता को पैरोकार काव्य सम्मान से नवाजा गया। उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता ताजा टीवी व छपते छपते के प्रधान संपादक विश्वम्भर नेवर और समापन सत्र की अध्यक्षता इबराड के चेयरमैन प्रो. एसबी राय ने की। दो दिवसीय पैरोकार साहित्य महोत्सव पैरोकार के विशेषांक का लोकार्पण, आज की साहित्यिक पत्रकारिता पर संगोष्ठी, कवि सम्मेलन और राष्ट्रीय सेमिनार के सफल आयोजन के साथ संपन्न हुआ।

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