‘अर्चना’ ने मनाया विश्व योग दिवस

कोलकाता । योग दिवस पर अर्चना संस्था ने कविता, गीत, संगीत आदि के द्वारा विश्व योग दिवस पर समाज को अपना स्वस्थ और ऊर्जावान बने रहने का संदेश दिया। योग की महत्ता को प्रेरक शब्दों द्वारा कवि और कवयित्रियों ने अपनी रचनाओं में अभिव्यक्ति दी। कार्यक्रम के आरंभ में इंदू चांडक द्वारा सरस्वती वंदना से हुई। अर्चना संस्था स्वरचित रचनाओं के लिए अपना विशिष्ट महत्व रखती है। सभी रचनाकारों ने स्वरचित रचनाएँ सुनाई। योग से संबंधित रचनाओं के साथ वर्षा की रचनाएं भी सुनाई गईं।
बनेचंद मालू नेे ज़िन्दादिल रहिए /जब तक / ज़िन्दा हैं।, योग है स्वस्थ जीवन जीने / का सुयोग, संगीता चौधरी ने हाइकु_रोजाना योग/ सुबह-शाम सैर/भगाए रोग।, थोड़ा आराम/ उचित खानपान /रहेंगे स्वस्थ।, रसना सुख!/अकारण उदर/भोगता दुख।, भेद समाया/सोना जागना/जल्दी/कंचन काया और दोहे, निशा कोठारी ने भोगी उल्टी राह पर , झूठे सुख को भोग।/योगी पल पल कर रहा , सच्चे सुख का योग।।/स्वस्थ रहे तन मन सदा, जीवन रहे निरोग।/जीवनचर्या ही अगर , बन जाएगी योग।/योग महज कसरत नहीं,गहरा है विस्तार।/सादा सच्चा संतुलित , हो आहार विहार।।/नियमित योगा ध्यान से,दूर क्लेश अरु कष्ट।/झूठी दौलत के लिए, सच्ची करते नष्ट।। /आठ अंग हैं यम , नियम, आसन प्राणायाम।/प्रत्यहार अरु धारणा, ध्यान ,समाधि सुनाम।।भारती मेहता ने योग से न वियोग रख!/योग है पूजा, मिटती इससे भ्रांति/मिलती आत्मिक शांति /मुखमंडल पर आ जाती कांति।, हिम्मत चोरड़़िया ने गीत- सागर जिसके पाँव पखारे, सुरपति करे बखान।/गूँज उठे धरती पर फिर से, जय-जय हिन्दुस्तान।।, कुंडलियां, सुशीला चनानी ने हाइकु-/स्वस्थ रखते/योग और संगीत/बना लो मीत, क्षणिकाएँ – मेधा मिल सकती है विरासत में /श्रम से /चमकाना पडता है /जैसे दिया तेल बाती सब हो /माचिस से जलाना पडता है और वर्षा गीत, विद्या भंडारी – हाइकु –प्राणायाम से हो/ सकारात्मक सोच / जीवन शान्त, प्रसन्न चोपड़ा ने संतोष का पीयूष पीकर मैं तृप्ति पा सकूंँ द्वार भीतर का है खोला मैं अंदर जा सकूंँ /नहीं एक सा जीवन सबका नहीं एक सा मन है भांँति भांँति के लोग मिले हैं यह मनुष्य जीवन है, मीना दूगड़ ने -ज्येष्ठ आषाढ़ की चिलचिलाती धूप उस पर चलती लू भरी गर्म हवाएँ । / और सुनहरी सांँझ ढले,पथिक हमआगे बढ़ चले। नौरतनमल भंडारी ने औरत/औरों को खुशियांँ देती है/खुद छुप छुप रोती है /उदास चेहरे पे,हॅसी आ गई/आप क्याआये,जिन्दगीआ गई।मृदुला कोठारी ने चलो जरा टहल आए तुम थामो मेरा हाथ मैं पकड तुम्हारी अंगुली उम्र के पथ पर चलो थोड़ा घूम आए, वसुंधरा मिश्र ने वारिश की ऋतु आई/चमकीली लड़ियांँ छाईं गीत, सुनाए ।इंदू चांडक ने कार्यक्रम का आरंभ सरस्वती वंदना से कई और कुंडलियाँ उठकर प्रातः काल जो, करते योगाभ्यास।तन मन उसका स्वस्थ हो, रोग न फटके पास।। दुर्लभ मानव तन मिला, रखें हमेशा ध्यान योग निरोग रखे हमें,कहता अब विज्ञान।।और वर्षा गीत सुनाया। कार्यक्रम की जानकारी दी डॉ वसुंधरा मिश्र ने ।

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