कोलकाता : अर्चना संस्था की ओर से आयोजित गोष्ठी में नवरात्र के दौरान माँ दुर्गा की शब्दों द्वारा आराधना की। इस अवसर पर आभासी माध्यम पर सदस्याओं ने सक्रिय भागेदारी कर अपनी प्रस्तुति दी। मांँ तुम्हारे रूप की छवि दिखला दो एक बार/हर भावों में हर धड़कन में गूँज उठे झंकार, हे कौमारी इस वसुंधरा पर बहता सा तुम वह निर्मल जल हो – मृदुला कोठारी, क्यों तेरी आंँखों में आंँसू दिल में इतना दर्द समाया, मेरी सूखी हुई आंँखों में अब पानी नहीं है /सुरभित थी जिंदगी अब रातरानी नहीं है-प्रसन्न चोपड़ा,इतिहास के पन्ने बताते हैं कितनी लड़ाईयां लड़ी हमने, आदि शक्ति नारायणी अम्बे जय जगदम्बे-इंदू चांडक, सीढ़ी का हर तल है प्रतीक्षारत कि उसपर चढ़ने – उतरने वाले कुछ ठिठकें और मिलें, गाय को जब बाँध दिया गया खूँटे से…भारती मेहता, जागो माँ दुर्गा का आह्वान, मैं ही वह रहस्यमयी – डॉ वसुंधरा मिश्र, उषा श्राफ और समृद्धि आदि कवयित्रियों ने विभिन्न भावों की कविताएं सुनाई। सुशीला चनानी ने हाइकू, गीत और कविताएँ सुनाई वहीं हिम्मत चौरडिया ने विभिन्न संदेशों से युक्त- करें सौ बार वंदन/रोटी तो अनमोल (मुक्तक)/चंदन माटी देश की (कुंडलिया)/मैया थारो साचो है दरबार(गीत)/ सुनाए। जूम पर होने वाले इस कार्यक्रम का संचालन और तकनीकी सहयोग इंदू चांडक ने किया।