नयी दिल्ली : समय के साथ कार खरीदने वालों के व्यवहार में बदलाव आ रहा है। वे अब कीमत को लेकर फिक्रमंद कम दिख रहे हैं। इसकी जगह कार के लुक्स और स्टाइल पर ज्यादा जोर दे रहे हैं। ग्लोबल कंज्यूमर एडवाइजरी फर्म जेडी पावर के एक अध्ययन में यह बात सामने आई है।
मॉडल चुनने में टेक्नोलॉजी जैसे पहलू भी अहम
रिपोर्ट के मुताबिक ओवरऑल सेल्स सेटिस्फेक्शन में ह्युंडई पहले स्थान है। इसके बाद महिंद्रा एंड महिंद्रा और टोयोटा का क्रम है। इन्हें 1,000 अंक में से क्रमश: 873, 872 और 873 अंक मिले। जेडी पावर के सेल्स सेटिस्फेक्शन इंडेक्स में इस साल कार खरीदने वालों ने मॉडल चुनते वक्त बाहरी और अंदरूनी लुक को अधिक महत्व दिया। यह पिछले साल की तुलना में 9% अधिक है। इसके अलावा मॉडल चुनने में परफॉर्मेंस-रिलायबिलिटी के साथ-साथ टेक्नोलॉजी जैसे पहलुओं की भी अहम भूमिका रही, जो पिछले साल की तुलना में क्रमश: 7% और 5% अधिक है। वाहन की कीमत, कर्ज हासिल करने की क्षमता और ईएमआई के महत्व में कमी आई है। इसमें पिछले साल के मुकाबले 4% की गिरावट देखने को मिली है। हालांकि ग्राहकों ने माना कि पिछले 3 साल में खासकर छोटी कारों की कीमतें बढ़ी हैं। यह पिछले साल की तुलना में 5% और 2017 की तुलना में 11% अधिक हैं। छोटी कारों के सेगमेंट में कीमत 2017 की तुलना में 9% अधिक है। जबकि एसयूवी सेगमेंट में महज 3% इजाफा हुआ है।
रिपोर्ट के मुताबिक ऐसे ग्राहक जिनकी मासिक आमदनी 75,000 रुपए से अधिक है कार खरीदने वाले कुल ग्राहकों में उनकी संख्या 33% रही। यह पिछले दो साल में 15% बढ़ी है। वर्ष 2017 में इसका आँकड़ा 18% था। जहां ग्राहक 2017 में औसतन 18 महीनों में गाड़ी की कीमत चुका रहे थे। अब वह 15 महीनों में गाड़ी की कीमत चुकाने में सक्षम हैं।
नयी लॉन्च होने वाली गाड़ियों को हाथों–हाथ ले रहे ग्राहक
एमजी मोटर्स की 27 जून को लॉन्च एसयूवी हेक्टर की मांग इतना अधिक थी कि कंपनी को 18 जुलाई को ही बुकिंग पर रोक लगानी पड़ी। 29 सितंबर को फिर से बुकिंग शुरू होने के बाद मात्र 10 दिन में ही 8,000 से ज्यादा हेक्टर की बुकिंग हो चुकी थी। इसका वेटिंग पीरियड बढ़कर 10 महीने तक पहुंच चुका है। जुलाई से सितंबर के बीच 6,116 हेक्टर बिक चुकी हैं। इसी तरह, किया मोटर्स ने 22 अगस्त को सेल्टोस लॉन्च की थी। इसकी बुकिंग 50,000 यूनिट के पार चली गई है। वेटिंग पीरियड बढ़कर छह हफ्तों से अधिक हो गया है। कंपनी अब तक 14,000 से ज्यादा सेल्टोस बेच चुकी है।
जीडीपी में ऑटो उद्योग का योगदान घट सकता है
इस वित्त वर्ष में वाहन निर्माता कंपनियों का राजस्व 6% तक गिर सकता है। इससे देश के जीडीपी में ऑटो सेक्टर का योगदान घटकर 7% रह सकता है। पिछले वित्त वर्ष 2018-19 में 7.5% था। अक्वाइट रेटिंग्स एंड रिसर्च ने यह अनुमान जताया है। इसके मुताबिक ऑटो उद्योग की कुल घरेलू बिक्री, जिसमें यात्री वाहन, कॉमर्शियल वाहन, दोपहिया और तिपाहिया वाहन शामिल हैं, इस साल 6-7% तक घट सकती है। पिछले वित्त वर्ष में 2.5 करोड़ वाहन बिके थे।