-कानूनी पचड़े में अटक न जाए नियुक्ति प्रक्रिया
कोलकाता । पिछले लंबे इंतजार के बाद आखिरकार स्कूल सर्विस कमिशन (एसएससी) की 11वीं – 12वीं स्तर पर शिक्षकों की नियुक्ति के लिए हुई लिखित परीक्षा का रिजल्ट शुक्रवार की रात को घोषित किया गया। साल 2016 की नियुक्ति में हुए व्यापक भ्रष्टाचार के आरोपों से सबक लेते हुए नियुक्ति की प्रक्रिया में पारदर्शिता को बनाए रखने लिए एसएससी ने पहले ‘मॉडल आंसर की’ और बाद में लिखित परीक्षा के रिजल्ट के साथ ही ‘फाइनल आंसर की’ को भी जारी किया है। हालांकि जानकारों का मानना है कि फाइनल आंसर की के जारी होने से नियुक्ति प्रक्रिया में फिर से नई जटिलताएं पैदा हो सकती हैं। क्यों? क्योंकि अभ्यर्थियों का आरोप है कि संस्कृत, एन्वार्यन्मेंट स्टडिज, इतिहास, केमिस्ट्री, कृषि, होम मैनेजमेंट और होम नर्सिंग जैसे शिक्षक नियुक्ति के अपने विषयों के मॉडल आंसर में बड़ी उलझन है। किसी में प्रश्नपत्र में दिए गए 4 विकल्पों में से सभी गलत हैं, किसी में एक प्रश्न के संभाव्य तीन उत्तरों में से सभी सही हो सकते हैं। मॉडल प्रश्न पत्र में ऐसे प्रश्नों का उत्तर भी दिया गया है जो गलत है। बताया जाता है भूगोल के फाइनल मॉडल आंसर में तीन प्रश्नों का गलत उत्तर दिया गया है। एसएससी के आंसर की में कहा गया है कि इस प्रकार के ‘गलती’ के किसी मामले में अगर कोई परीक्षार्थी संबंधित प्रश्न को अटेम्प्ट ही नहीं करता है तब भी उसे पूरा नंबर ही दिया जाएगा। किसी प्रश्न के मामले में यह भी कहा गया है कि अगर परीक्षार्थी ने अटेम्प्ट किया तो नंबर दी जाएगी। इस वजह से लगभग सवा दो लाख परीक्षार्थियों में भी बड़ी संख्या में परीक्षार्थी बिना अटेम्प्ट किए या गलत उत्तर देकर भी पूरा नंबर प्राप्त कर लिए हैं। अभ्यर्थियों के अलावा शिक्षा से जुड़े जानकारों का भी मानना है कि एसएससी जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं में ऐसी गलतियों की कोई गुंजाइश ही नहीं होती है। लिखित परीक्षा में प्रत्येक पद के लिए औसतन 18 आवेदक उपस्थित हुए हैं और 10 पदों के लिए 16 लोगों को साक्षात्कार के लिए बुलाया जाएगा। इसलिए जिन अभ्यर्थियों को साक्षात्कार के लिए बुलाया जाएगा, उनके अंकों में हेराफेरी की समस्या हो सकती है। बताया जाता है कि अभ्यर्थी फाइनल आंसर की को लेकर कल (सोमवार) को अदालत का दरवाजा खटखटाने वाले हैं। साल 2016 की नियुक्ति प्रक्रिया में जहां इतने बड़े भ्रष्टाचार के आरोप लग चुके हैं, वहीं नियुक्ति की नई भी सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में है। ऐसे में सवाल उठाया जा रहा है कि आखिर यह गलती कैसे हुई? इस बारे में एसएससी के अध्यक्ष सिद्धार्थ मजुमदार का कहना है कि शिकायतें हो सकती हैं। लेकिन असली मुद्दा यह है कि मूल्यांकन सही था या नहीं। ओएमआर शीट का मूल्यांकन फाइनल मॉडल उत्तर के आधार पर किया गया था। इसलिए अभ्यर्थियों को उनके योग्य अंक मिले हैं। अंकों में भेदभाव की कोई गुंजाइश नहीं है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि यह गलती या क्लिनीकल एरर कैसे हुई, इसकी जांच भी की जाएगी। वर्ष 2016 के ‘योग्य’ शिक्षक-शिक्षिका अधिकार मंच की ओर से महबूब मंडल का कहना है कि अंतिम मॉडल उत्तर में कुछ विषयों के कुछ उत्तर गलत दिए गए हैं। कई मामलों में टाइपिंग की गलतियां भी हुई हैं। एक अन्य ‘योग्य’ लेकिन बेरोजगार शिक्षक राकेश आलम ने शिकायत की है कि फाइनल उत्तर की में कई प्रश्नों के गलत विकल्प गलत ही रह गए हैं। एसएससी के एक अधिकारी ने बताया कि फाइनल आंसर की तैयार करने वाली विशेषज्ञ कमेटी के सभी सदस्य विषय-आधारित अध्यापक थे। लेकिन पूरी नियुक्ति प्रक्रिया सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित समय-सीमा के भीतर पूरी करनी थी। कई मौकों पर प्रूफरीडिंग का समय नहीं मिला। इसलिए कुछ गड़बड़ी जरूर रह गयी होगी। हालांकि अभ्यर्थियों का कहना है कि अगर 60 अंकों की लिखित परीक्षा में प्रत्येक उम्मीदवार को कई विषयों में ‘गलत’ प्रश्नों या उत्तरों के लिए 5-6 अंक मिलते हैं, तो वास्तविक परीक्षा 54-55 अंकों की होगी। क्या इतनी बड़ी परीक्षा के लिए यह उचित है? मिली जानकारी के अनुसार कई अभ्यर्थी इस मुद्दे पर पहले से ही कानूनी सलाह ले रहे हैं ताकि यह तय किया जा सके कि वे अदालत का दरवाजा किस आधार पर खटखटा सकते हैं।





