जब एक बच्चे ने बचायी पंडित नेहरू की जान

नयी दिल्ली । विजयादशमी पर आज पूरे देश में रावण दहन हो रहा है। बरसों से चली आ रही परंपरा के तहत कई जगहों पर रामलीला का मंचन होता है और आज के दिन बुराई पर अच्छाई की विजय का संदेश देते हुए रावण का अंत किया जाता है। कुछ साल पहले तक काफी आतिशबाजी और पटाखे फोड़े जाते थे लेकिन दिल्ली-एनसीआर समेत कई शहरों में प्रदूषण को देखते हुए इसमें काफी कमी करनी पड़ी। लेकिन आज से 70-75 साल पहले दिल्ली की रामलीला में खूब पटाखे फोड़े जाते थे। देश को आजाद हुए तब 10 साल हुए थे और रामलीला में की गई आतिशबाजी के दौरान पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की जान पर बन आई थी। जी हां, आज की पीढ़ी को शायद ही पता हो कि तब एक बच्चे की फुर्ती और सूझबूझ से नेहरू की जान बची थी।

उस पंडाल में नेहरू के साथ विदेशी भी थे। यह सच्ची घटना 1957 की है। 2 अक्टूबर के दिन पुरानी दिल्ली के रामलीला मैदान पर रामलीला देखने के लिए नेहरू आए हुए थे। उनके साथ कुछ विदेशी मेहमान भी थे। आतिशबाजी हो रही थी तभी एक पटाखा उसी शामियाने पर आकर गिरा जिसके नीचे नेहरू और अन्य वीआईपी बैठे हुए थे। सेंकेंडों में आग धधक गई और भगदड़ मच गई। तब आज की तरह सुरक्षा में इतना तामझाम नहीं हुआ करता था। तभी एक किशोर ने नेहरू का हाथ पकड़ा और झट से सुरक्षित स्थान पर ले गया। रामलीला के स्टेज पर उन्हें पहुंचाने के बाद वह शामियाने में भागकर आया और जलते हुए हिस्से को काटकर अलग कर दिया जिससे आग और ज्यादा न फैले।
उस बच्चे की उम्र 14 साल थी और वह स्काउट्स का ट्रूप लीडर था। उसका नाम था हरीश चंद्र मेहरा। नेहरू को बचाने और शामियाने को अलग करने के दौरान वह घायल भी हो गया था। आपको जानकर गर्व होगा कि एक महीने बाद इस बच्चे को बहादुरी का इनाम मिला और प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने तीन मूर्ति भवन में उसे पुरस्कृत किया था। इसके साथ ही बच्चों के लिए वीरता पुरस्कार देने का ऐलान हुआ।
देश के पहले पीएम की जान बचाने वाले हरीश चंद्र मेहरा ने 2014 में एक इंटरव्यू में बताया था कि पंडित नेहरू जैसी हस्ती से सम्मान मिलना गर्व की बात थी। मुझे घर-परिवार और दूरदराज से बधाइयां आई थीं। मीडिया वाले इंटरव्यू लेते और डॉक्यूमेंट्री भी बनी। उन्होंने कहा था कि वह एक ही रात में आसमान के चमकते हुए सितारे बन गए थे।
नेहरू के साथ हाथ मिलाने वाली, पुरस्कृत करते और साथ में उनकी एक अन्य तस्वीर आज भी उस घटना की याद दिलाती है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *