राष्ट्रीय और राज्य राजमार्गों केकिनारे शराब की दुकानों पर पाबंदी के आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने थोड़ी ढील देते हुए कहा है कि उन निगम क्षेत्र जिनकी आबादी 20 हजार या इससे कम हो, वहां 500 मीटर के दायरे में नहीं बल्कि 220 मीटर केदायरे में शराब की दुकानें नहीं होंगी। वहीं सिक्किम और मेघालय की भौगोलिक स्थिति को देखते हुए इस तरह की पाबंदी से छूट दे दी गई है।
मालूम हो कि गत 15 दिसंबर के अपने आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि राष्ट्रीय और राज्य राजमार्गों के 500 मीटर केदायरे में एक अप्रैल, 2017 से शराब की दुकानें नहीं होंगी। यह आदेश बार, पब और होटलों पर भी लागू था। साथ ही राष्ट्रीय और राज्य राजमार्गों पर शराब के दुकानों की मौजूदगी केसंकेतक या बोर्ड लगाने पर भी प्रतिबंध लगा दिया था।
चीफ जस्टिस जेएस खेहर की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने शुक्रवार को अपने फैसले में फेरबदल करते हुए कहा कि वैसे निगम क्षेत्र या शहर जिनकी आबादी 20 हजार या इससे कम हो, वहां 500 मीटर की बजाय 220 मीटर केदायरे में शराब की दुकानें नहीं होंगी।
पीठ ने बार एवं रेस्तरां को किसी तरह का छूट देने से इनकार कर दिया है। पीठ ने कहा कि अगर 15 दिसंबर केआदेश से इन्हें मुक्त रखा जाएगा तो उद्देश्य ही नहीं पूरा होगा। आदेश शराब पीकर वाहन चलाने को रोकने को ध्यान में रखते हुए लिया गया था।
दिसंबर केआदेश में हाईवे के 500 मीटर के दायरे में शराब की दुकानों के लिए नए लाइसेंस जारी करने पर रोक लगा दी थी। 31 मार्च, 2017 केबाद राष्ट्रीय और राज्य राजमार्गों के 500 मीटर के दायरे तक किसी भी शराब के ठेके का लाइसेंस नवीनीकरण पर पाबंदी लगा दी थी।
इस आदेश में भी सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को बदलाव किए। अब जिनकेपास लाइसेंस है वह 30 सिंतबर तक बने रहेंगे। वास्तव में अदालत ने पाया कि सभी राज्य एक अप्रैल से लेकर 30 मार्च केलिए ही लाइसेंस जारी नहीं करते हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों के मुख्य सचिवों और पुलिस प्रमुख को सुनिश्चित करने के लिए कहा है वह योजना तैयार करें जिससे कि निर्देशों का पालन हो सके। पीठ ने कहा कि यह आदेश लाखों लोगों की जिंदगी को ध्यान में रखते हुए लिया गया है।
मालूम हो कि कुछ राज्यों समेत कई संगठनों ने याचिका दायर कर 15 दिसंबर केआदेश में बदलाव करने की गुहार की थी। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय केवर्ष 2015 के आंकड़े के मुताबिक, देश में हर वर्ष सड़क दुर्घटनाओं में हर वर्ष करीब डेढ़ लाख लोगों की मौत होती है जबकि इससे तिगुनी संख्या में लोग घायल होते हैं। अधिकतर दुर्घटनाओं की वजह शराब पीकर वाहन चलाना है।