कोच्चि मेट्रो में 23 ट्रांसजेंडरों को नियुक्ति मिली है। मेट्रो में ट्रांसजेंडर्स को उनकी योग्यता के मुताबिक हाउस कीपिंग, टिकट काउंटर जैसे अलग-अलग विभागों की जिम्मेदारी सौंपी गई है। देश में संभवत: पहली बार सरकार के तहत काम करने वाली एक कंपनी इतनी बड़ी संख्या में थर्ड जेंडर के लोगों को नौकरी मिली है। इसके अलावा कोच्चि मेट्रो में 1000 महिलाओं की भी नियुक्ति हुई है। मेट्रो का संचालन मोटे तौर पर महिलाओं के ही हाथ में होगा।
केरल मेट्रो रेल लिमिटेड के प्रबंध निदेशक एलियास जॉर्ज ने बताया, ‘ट्रांसजेंडर लोगों को मुख्यधारा में लाने के लिए ये प्रयास किया जा रहा है। हमें उम्मीद है कि हमारी पहली कोशिश सफल होगी। हम ये भी मान रहे हैं कि इससे बाकी कंपनियों को भी प्रेरणा मिलेगी और ऐसे लोगों को सम्मानजनक जीवन जीने का अवसर मिलेगा।’
इन ट्रांसजेंडर्स को यूं ही नौकरी पर नहीं रखा गया है। इन्हें बकायदा लिखित परीक्षा और इंटरव्यू के बाद ही नौकरी दी गई है। मेट्रो के अधिकारियों के मुताबिक अभी ये ट्रेनिंग से गुजर रहे हैं। अगर इनकी परफॉर्मेंस अच्छी रही, तो बाकी के ट्रांसजेंडर को नौकरी का मौका मिलेगा।
केरल में करीब 30,000 ट्रांसजेंडर्स रहते है। साल 2015 में केरल ने ट्रांसजेंडर्स के साथ होने वाले भेदभाव को रोकने के लिए ट्रांसजेंडर पॉलिसी की शुरूआत हुई थी। ट्रांसजेंडर पॉलिसी बनाने वाला केरल, भारत का पहला राज्य है। केरल सरकार ने इस पॉलिसी के अंतर्गत ट्रांसजेंडर समुदाय के लोगों को रोजगार और उनकी सुरक्षा का वादा किया था। इसके अलावा 2016 में सरकार ने 60 साल से अधिक उम्र वाले ट्रांसजेंडर्स के लिए पेंशन स्कीम भी लागू की है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, 89 प्रतिशत ट्रांसजेंडर्स के साथ काम के दौरान छेड़छाड़ या गलत व्यवहार होता है। वहीं 28 फीसदी ट्रांसजेंडर्स का मानना है, कि उनके दोस्त ही ऐसा काम करते हैं।
नौकरी पाने वाली एक ट्रांसजेंडर चित्रा ने कहा, कि ‘हम काम करने के लिए बहुत उत्साहित हैं। हम उम्मीद करते हैं कि बाकी कंपनियों में भी हमारे लिए दरवाजे खुलेंगे।’