नयी दिल्ली : साईखोम मीराबाई चानू विश्व भारोत्तोलन चैम्पियनशिप में पिछले दो दशक से अधिक समय में स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय बन गयी। उन्होंने अमेरिका के अनाहेम में यह कारनामा करके रियो ओलंपिक के खराब प्रदर्शन की टीस मिटायी।
भारतीय रेलवे में कार्यरत चानू ने स्नैच में 85 किलो और क्लीन एंड जर्क में 109 किलो वजन उठाया। उन्होंने 48 किलो वर्ग में कुल 194 किलो वजन उठाकर नया राष्ट्रीय रिकार्ड बनाया।
वर्ष 2014 राष्ट्रमंडल खेलों की रजत पदक विजेता चानू ने कहा, ‘‘आज मैंने जो भी हासिल किया है, वह मेरे कोच विजय शर्मा के मार्गदर्शन के बिना संभव नहीं हो पाता। मैंने और मेरे कोच ने शीर्ष स्तर पर सफलता हासिल करने के लिये कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। ’’ उन्होंने कहा, ‘‘रियो ओलंपिक में मैं पदक नहीं जीत सकी थी, वो निराशाजनक था। मैंने रियो में गलतियां की थी और मैं अब भी इससे दुखी हूं। इस पदक ने वो निराशा खत्म कर दी हे। मैं अपनी कमजोरियों पर काम करूंगी और अगले साल राष्ट्रमंडल व एशियाई खेलों तथा तोक्यो ओलंपिक में पदक जीतने की कोशिश करूंगी। ’’ पोडियम पर खड़े होकर तिरंगा देखकर खुशी से उनके आंसू निकल गए। उनसे पहले ओलंपिक कांस्य पदक विजेता कर्णम मल्लेश्वरी ने 1994 और 1995 में विश्व चैम्पियनशिप में पीला तमगा जीता था।
भारतीय भारोत्तोलन महासंघ के महासचिव सहदेव यादव ने अनाहेम से पीटीआई से कहा, ‘‘हमें 24 साल के बाद भारोत्तोलन में पदक मिला, यह एक शानदार उपलब्धि है। बल्कि यह ओलंपिक से ज्यादा बड़ी उपलब्धि है क्योंकि विश्व चैम्पियनशिप में काफी कठिन, काफी मजबूत खिलाड़ियों का पूल होता है। ’’ उन्होंने कहा, ‘‘मैं मीराबाई और कोच विजय शर्मा दोनों को ही इस बड़ी उपलब्धि के लिये बधाई देना चाहूंगा। कोच ने उन्हें बहुत अच्छी तरह ट्रेनिंग दी और वह उसकी सफलता के लिये श्रेय के हकदार हैं।
नयी दिल्ली : साईखोम मीराबाई चानू विश्व भारोत्तोलन चैम्पियनशिप में पिछले दो दशक से अधिक समय में स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय बन गयी। उन्होंने अमेरिका के अनाहेम में यह कारनामा करके रियो ओलंपिक के खराब प्रदर्शन की टीस मिटायी।
भारतीय रेलवे में कार्यरत चानू ने स्नैच में 85 किलो और क्लीन एंड जर्क में 109 किलो वजन उठाया। उन्होंने 48 किलो वर्ग में कुल 194 किलो वजन उठाकर नया राष्ट्रीय रिकार्ड बनाया।
वर्ष 2014 राष्ट्रमंडल खेलों की रजत पदक विजेता चानू ने कहा, ‘‘आज मैंने जो भी हासिल किया है, वह मेरे कोच विजय शर्मा के मार्गदर्शन के बिना संभव नहीं हो पाता। मैंने और मेरे कोच ने शीर्ष स्तर पर सफलता हासिल करने के लिये कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। ’’ उन्होंने कहा, ‘‘रियो ओलंपिक में मैं पदक नहीं जीत सकी थी, वो निराशाजनक था। मैंने रियो में गलतियां की थी और मैं अब भी इससे दुखी हूं। इस पदक ने वो निराशा खत्म कर दी हे। मैं अपनी कमजोरियों पर काम करूंगी और अगले साल राष्ट्रमंडल व एशियाई खेलों तथा तोक्यो ओलंपिक में पदक जीतने की कोशिश करूंगी। ’’ पोडियम पर खड़े होकर तिरंगा देखकर खुशी से उनके आंसू निकल गए। उनसे पहले ओलंपिक कांस्य पदक विजेता कर्णम मल्लेश्वरी ने 1994 और 1995 में विश्व चैम्पियनशिप में पीला तमगा जीता था।
भारतीय भारोत्तोलन महासंघ के महासचिव सहदेव यादव ने अनाहेम से पीटीआई से कहा, ‘‘हमें 24 साल के बाद भारोत्तोलन में पदक मिला, यह एक शानदार उपलब्धि है। बल्कि यह ओलंपिक से ज्यादा बड़ी उपलब्धि है क्योंकि विश्व चैम्पियनशिप में काफी कठिन, काफी मजबूत खिलाड़ियों का पूल होता है। ’’ उन्होंने कहा, ‘‘मैं मीराबाई और कोच विजय शर्मा दोनों को ही इस बड़ी उपलब्धि के लिये बधाई देना चाहूंगा। कोच ने उन्हें बहुत अच्छी तरह ट्रेनिंग दी और वह उसकी सफलता के लिये श्रेय के हकदार हैं।