नीमच : देश के ख्यातनाम साहित्यकार व कवि बालकवि बैरागी का निधन हो गया। वे 87 वर्ष के थे। मूलत: मनासा क्षेत्र के बालकवि बैरागी साहित्य और कविता के साथ राजनीति के क्षेत्र में भी सक्रिय रहे। वे राज्यसभा के सदस्य रहे।इस सरस्वती पुत्र को कई सम्माना से नवाजा गया था। श्री बैरागी का मनासा में भाटखेड़ी रोड पर कवि नगर पर निवास है। वहीं पर उन्होंने शाम 6 बजे अंतिम सांस ली।
श्री बैरागी की गिनती कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं में होती थी। वे मध्यप्रदेश में अर्जुन सिंह सरकार में खाद्यमंत्री भी रहे। कवि बालकवि बैरागी काे मध्यप्रदेश सरकार के संस्कृति विभाग द्वारा कवि प्रदीप सम्मान भी प्रदान किया गया।
साहित्य अौर राजनीति से जुड़े रहने के कारण उनकी कविताओं में साहित्य और राजनीति की झलक देखने को मिलती है। गीत, दरद दीवानी, दो टूक, भावी रक्षक देश के, आओ बच्चों गाओ बच्चों श्री बैरागी की प्रमुख रचनाएं हैं।
मृदुभाषी और मस्तमौला स्वभाव तथा सौम्य व्यक्तित्व के धनी बालकवि बैरागी ने अंतरराष्ट्रीय कवि के रूप में नीमच जिले को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया था।
बताया जाता है कि नीमच में एक कार्यक्रम में शामिल होकर वे अपने घर मनासा पहुंचे थे। वहां कुछ समय आराम करने के लिए अपने कमरे में गए। शाम करीब 5:00 बजे जब उन्हें चाय के लिए उठाया गया तो उनके निधन की खबर लगी।
वे अपने पीछे भरा पूरा परिवार छोड़ गए हैं। उनके निधन की खबर अंचल में फैलते हुए शोक की लहर दौड़ गई कई बड़ी राजनीतिक हस्तियां उनके निवास पर पहुंच रही हैं।
बैरागी का जन्म 10 फरवरी 1931 को मनासा विकासखंड के रामपुरा में हुआ था। वे 1945 से कांग्रेस में सक्रिय रहे। 1967 में उन्होंने विधानसभा चुनाव में प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री सुंदरलाल पटवा को शिकस्त दी थी। 1969 से 1972 तक पं. श्यामाचरण शुक्ल के मंत्रिमंडल में राज्यमंत्री रहे।
1980 में मनासा से दोबारा विधायक निर्वाचित हुए। अर्जुनसिंह की सरकार में भी वे मंत्री रहे। 1984 तक लोकसभा में रहे। 1995-96 में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी में संयुक्त सचिव रहे। 1998 में मप्र से राज्यसभा में गए। 29 जून 2004 तक वे निरंतर राज्यसभा सदस्य रहे।
2004 में उन्हें राजस्थान प्रदेश कांग्रेस के आंतरिक संगठनात्मक चुनावों के लिए उन्हंे चुनाव प्राधिकरण का अध्यक्ष बनाया गया। 2008 से 2011 तक मप्र कांग्रेस में उपाध्यक्ष रहे। मप्र कांग्रेस चुनाव समिति के अध्यक्ष भी रहे हैं। वर्तमान में वे केंद्रीय हिन्दी सलाहकार समिति के सदस्य थे।
शोक स्वरूप मनासा बंद रहेगा बालकवि बैरागी का अंतिम संस्कार 14 मई की दोपहर करीब 2 बजे मनासा में होगा। कवि नगर स्थित निज निवास से दोपहर 2 बजे अंतिम यात्रा निकलेगी। बैरागी के निधन पर शोक स्वरूप मनासा नगर सोमवार को बंद रहेगा।