तस्वीर

ड़ॉ. इंदिरा चक्रवर्ती सिंह

indirac

तस्वीर

कभी पुरानी नहींं होती

आईना नया हौ या पुराना

रेखाएं कच्ची हों या पक्की

उनके बीच होता तो वही है

जो था

जैसा था

जस का तस

बाकी तो मुलम्मा है।

सरकते समय का आभास

भले बीतने का संकेत दे

पर दरवाजे के उस पार तो वही आहट

जो समय के शुरू होने के साथ था

भीतर तो वही इंतजार

आहटों का लेखा – जोखा

बिंदास, दौड़ने की ललक

लहरों के साथ

लहरों पर सवार होकर

क्षितिज तक पहुँचने की लालसा

तस्वीर के बनने से लेकर

आज तक

उतनी ही हरी है।

जब मुल्लमे का पुख्तापन

मूल को अँगूठा दिखा रहा है

पर

तस्वीर तो तस्वीर है

जिसकी उम्र नहीं होती

और, भीतर का बच्चा तो बच्चा है

जो बड़ा होने का नाम नहीं लेता

पर उस मुलम्मे का क्या करे कोई

जो उस पर चढ़े बिना बाज नहीं आता।।

(कवियत्री सेठ सूरजमल जालान गर्ल्स कॉलेज की वरिष्ठ एसोसिएट प्रोफेसर हैं)

शुभजिता

शुभजिता की कोशिश समस्याओं के साथ ही उत्कृष्ट सकारात्मक व सृजनात्मक खबरों को साभार संग्रहित कर आगे ले जाना है। अब आप भी शुभजिता में लिख सकते हैं, बस नियमों का ध्यान रखें। चयनित खबरें, आलेख व सृजनात्मक सामग्री इस वेबपत्रिका पर प्रकाशित की जाएगी। अगर आप भी कुछ सकारात्मक कर रहे हैं तो कमेन्ट्स बॉक्स में बताएँ या हमें ई मेल करें। इसके साथ ही प्रकाशित आलेखों के आधार पर किसी भी प्रकार की औषधि, नुस्खे उपयोग में लाने से पूर्व अपने चिकित्सक, सौंदर्य विशेषज्ञ या किसी भी विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें। इसके अतिरिक्त खबरों या ऑफर के आधार पर खरीददारी से पूर्व आप खुद पड़ताल अवश्य करें। इसके साथ ही कमेन्ट्स बॉक्स में टिप्पणी करते समय मर्यादित, संतुलित टिप्पणी ही करें।