गीता में जीवन का सार है. श्री कृष्ण ने महाभारत युद्ध में अर्जुन को कुछ उपदेश दिए थे, जिससे उस युद्ध को जीतना पार्थ के लिए आसान हो गया। यहां दिए गए गीता के कुछ उपदेशों को अपने जिंदगी में शामिल करके आप भी अपने लक्ष्य को पाने में सक्षम होंगे..
भगवान प्रत्येक इंसान से विभिन्न मुद्दों पर सवाल करते हैं और उन्हें मायावी संसार को त्यागने को कहते हैं। उनका कहना है कि पूरी जिंदगी सुख पाने का एक और केवल एक ही रास्ता है और वह है उनके प्रति पूरा समर्पण।
तुम क्यों व्यर्थ चिंता करते हो? तुम क्यों भयभीत होते हो? कौन तुम्हें मार सकता है? आत्मा का न कभी जन्म होता है और न ही यह कभी मरता है।
जो हुआ वह अच्छे के लिए हुआ, जो हो रहा है वह अच्छे के लिए हो रहा है और जो होगा वह भी अच्छे के लिए ही होगा। भूत के लिए पश्चाताप मत करो, भविष्य के लिए चिंतित मत हो, केवल अपने वत्र्तमान पर ध्यान लगाओ।
तुम्हारे पास अपना क्या है जिसे तुम खो दोगे? तुम क्या साथ लाए थे जिसका तुम्हें खोने का डर है? तुमने क्या जन्म दिया जिसके विनाश का डर तुम्हें सता रहा है? तुम अपने साथ कुछ भी नहीं लाए थे। हर कोई खाली हाथ ही आया है और मरने के बाद खाली हाथ ही जाएगा।
जो कुछ भी आज तुम्हारा है, कल किसी और का था और परसों किसी और का हो जाएगा। इसलिए माया के चकाचौंध में मत पड़ो। माया ही सारे दु:ख, दर्द का मूल कारण है।
परिवर्तन संसार का नियम है। एक पल में आप करोड़ों के स्वामी हो जाते हो और दूसरे पल ही आपको ऐसा लगता है कि आपके पास कुछ भी नहीं है।
न तो यह शरीर तुम्हारा है और न ही तुम इस शरीर के हो। यह शरीर पांच तत्वों से बना है- आग, जल, वायु, पृथ्वी और आकाश। एक दिन यह शरीर इन्हीं पांच तत्वों में विलीन हो जाएगा।
अपने आप को भगवान के हवाले कर दो। यही सर्वोत्तम सहारा है। जो कोई भी इस शत्र्तहीन सहारे को पहचान गया है वह डर, चिंता और दु:खों से आजाद रहता है।
पवित्र गीता के बारे में कुछ विद्वानों की राय
अल्बर्ट आइंस्टीन
जब भी मैं भगवद्गीता पढ़ता हूं तो पता चलता है कि भगवान ने किस प्रकार संसार की रचना की है। इसके सामने सब कुछ फीका लगता है।
महात्मा गांधी
जब भी मैं भ्रम की स्थिति में रहता हूं, जब भी मुझे निराशा का अनुभव होता है और मुझे लगता है कि कहीं से भी कोई उम्मीद नहीं है तब मं भगवद्गीता की शरण में चला जाता हूं। ऐसा करते ही मैं अथाह दु:खों के बीच भी मुस्कराने लग जाया करता हूं। वे लोग जो गीता का अध्ययन और मनन करते हैं उन्हें हमेशा शुद्ध विचार और खुशियां मिला करती हैं और प्रत्येक दिन वे गीता के नए अर्थ को प्राप्त करते हैं।
हर्मन हीज
भगवद्गीता का सबसे बड़ा आश्चर्य जीवन की बुद्धिमानी के बारे में रहस्योद्घाटन करना है जिसकी मदद से मनोविज्ञान धर्म के रूप में फलता फू लता है।
आदि शंकर
भगवद्गीता के स्पष्ट ज्ञान को प्राप्त करने के बाद मानव अस्तित्व के सारे उद्देश्यों की पूर्ति हो जाती है। यह सारे वैदिक ग्रंथों का सार तत्व है।
रुडोल्फ स्टेनर
भगवद्गीता को पूरी तरह समझने के लिए अपनी आत्मा को इस काम में लगाना होगा।