उरी हमले को लेकर आक्रोश की तुलना 1965 के युद्ध के समय के आक्रोश से करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज कहा कि इस आतंकी हमले के लिए जिम्मेदार लोगों को निश्चित तौर पर दंडित किया जाएगा तथा उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सेना बोलती नहीं, बल्कि पराक्रम दिखाने में विश्वास रखती है।
कश्मीर के लोगों के लिए संदेश देते हुए मोदी ने कहा कि ‘शांति, एकता और सद्भाव’ के माध्यम से ही समस्याओं का समाधान किया जा सकता है और उन्होंने भरोसा जताया कि सभी मुद्दों का हल बातचीत के जरिए किया जा सकता है।
अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ में मोदी ने संबोधन की शुरूआत 18 सितम्बर को हुए उरी हमले में शहीद 18 जवानों को श्रद्धांजलि देने के साथ की।
उन्होंने कहा, ‘‘यह कायरतापूर्ण कृत्य पूरे देश को झकझोरने के लिए काफी था। इसको लेकर देश में शोक और आक्रोश दोनों है।’’ प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘यह क्षति सिर्फ उन परिवारों की नहीं है जिन्होंने अपने बेटे, भाई और पति खोए हैं। यह क्षति संपूर्ण देश की है। इसलिए आज मैं वही कहूंगा जो मैंने उस दिन :घटना के दिन: भी कहा था और आज फिर दोहराता हूं कि दोषियों को निश्चित रूप से दंडित किया जाएगा।’’ भारतीय सेना में विश्वास प्रकट करते हुए मोदी ने कहा कि वह अपने पराक्रम से इस तरह के सभी षडयंत्रों को विफल कर देगी।
उन्होंने कहा, ‘‘ये :सैनिक: वे लोग हैं जो अदम्य साहस दिखाते हैं ताकि 125 करोड़ लोग शांतिपूर्ण ढंग से रह सकें।’’ मोदी ने कहा, ‘‘हमें अपनी सेना पर गर्व है। लोगों और नेताओं को बोलने के अवसर मिलते है और वे ऐसा करते भी हैं। परंतु सेना बोलती नहीं है। सेना अपना पराक्रम दिखाती है।’’ प्रधानमंत्री ने 11वीं कक्षा के एक छात्र का संदेश पढ़ा जिसने उरी की घटना को लेकर आक्रोश प्रकट किया था और इसको लेकर कुछ करने की इच्छा जताई थी। इस छात्र ने काफी सोचने के बाद यह संकल्प लिया कि वह रोजाना तीन घंटे अतिरिक्त पढ़ाई करेगा ताकि देश के लिए योगदान दे सके।