मुम्बई : बीके बिड़ला समूह के चेयरमैन और उद्योगपति कुमार मंगलम बिड़ला के दादा बसंत कुमार बिड़ला का बुधवार को मुम्बई में निधन हो गया। वह 98 वर्ष के थे। 1921 में जन्मे बीके बिरला उद्योगपति घनश्याम बिरला के सबसे छोटे पुत्र थे। वह बिरला कृष्णार्पन चैरिटी ट्रस्ट, बीके बिरला इंजीनियरिंग और तकनीकी संस्थान के चेयरमैन थे। इसके अलावा कई शैक्षणिक ट्रस्टों एवं संस्थानों से भी जुड़े थे।
मात्र 15 वर्ष की आयु में ही वह कई कंपनियों के साथ सक्रिय तौर पर जुड़ गए थे और केशोराम इंडस्ट्रीज के चेयरमैन बन गए थे। उन्होंने एक कारोबारी के तौर पर अपना ध्यान कॉटन, विस्कोस, पालिएस्टर, नायलान यार्न, रिफ्रैक्टरी, कागज, जहाजरानी, टायरकॉर्ड, पारदर्शी पेपर, स्पन पाइप, सीमेंट, चाय, कॉफी, इलायची, रसायन, प्लाईवुड और एमडीएफ बोर्ड पर लगाया था। उन्होंने कतर में बिरला पब्लिक स्कूल और कल्याण मेंं काॅलेज ऑफ आर्टस, साइंस एंड क़ॉमर्स तथा राजधानी दिल्ली में बिरला विद्या निकेतन की स्थापना की थी। बीके बिरला का विवाह अप्रैल 1941 में सामाजिक कार्यकर्ता और लेखक बृजलाल बियानी की पुत्री सरला से हुआ था और उनकी दो पुत्रियां जयश्री मोहता तथा मंजुश्री खेतान हैं। उनके पुत्र आदित्य बिरला का अक्टूबर 1995 में निधन हो गया था। उनके पोते कुमार मंगलम बिरला हैं। उन्होंने कईं पुस्तकों के अलावा आत्मकथा “ सवांथ सुखायः” को कलमबद्ध किया था।