आप भेड़ नहीं इंसान हैं, अपनी सोच और जमीर को जिन्दा रखिए

बच्चे इस देश का भविष्य हैं मगर जिस देश में बच्चों को जीने के लिए ऑक्सीजन न मिल रहा हो, उस देश का भविष्य क्या होने वाला है, सोचने वाली बात है। अगस्त महीने में गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में 250 बच्चों की मौत बेहतरी के सपनों को मारने वाला हादसा है। इस देश में हादसों के बाद हादसे हो रहे हैं मगर इन तमाम हादसों के पीछे कहीं न कहीं बगैर सोच के पीछे चल देने वाली सोच है। गोरखपुर में कमिशन पाने की सोच और ख्वाहिश ने लोगों को बेईमान बना दिया और हाल ही में खुद को ईश्वर बताने वाले गुरमीत राम रहीम की अंधभक्ति ने उसके अनुयायियों को हैवान बना दिया। इस हैवान की कहानियाँ इंसानियत को शर्मसार करने वाली हैं मगर ऐसे तो न जाने कितने धर्मगुरु शोषण कर रहे हैं और जाने कितनी बार हमारा विश्वास हिल जाता है। अनचाहा जबरन स्पर्श किसी दंश से ज्यादा भयावह होता है और जब आप किसी को गुरु या शिक्षक मानकर सिर झुकाते हैं और हद से ज्यादा किसी पर भरोसा करते हैं और वह आपको सिर्फ सेक्स के खिलौने की तरह इस्तेमाल करे तो यह अन्दर से तोड़कर रख देता है। शिक्षकों पर शोषण के आरोप लगते हैं और बाबाओं और धर्मगुरुओं के इस देश में पीड़ित को ही मुजरिम बनाकर शोषण की ओर धकेल दिया जाना आम बात है। ये कैसी अंधश्रद्धा है जो सही और गलत का फर्क नहीं जानती, एक बलात्कारी जिसे अदालत ने भी 15 साल की लम्बी कार्रवाई के बाद दोषी पाया, एक हत्यारा जिसने न जाने कितनों की हत्या करवा दी, अगर उसे पूजने वाले इस देश में हैं तो भूल जाइए कि हम आगे बढ़ने वाले हैं। जीवन का सबक सिखाने वाला गुरु ही होता है जो एक समाज तैयार करता है, यकीनन समाज में बुराई है तो यकीन भी है। हाल ही में इस देश की न्यायपालिका ने आम लोगों के इस यकीन को जिन्दा रखा। पहले एक बार में तीन तलाक को अंसवैधानिक घोषित किया, फिर निजता के अधिकार को मौलिक अधिकार माना और इसके बाद राम रहीम को 20 साल की सजा मिलना इस बात का सबूत है कि इस देश में उम्मीदों को जिन्दा रखने के लिए जमीन बाकी है। इस तरह की घटनाओं ने एक बार फिर मजहब और सिसायत के रिश्ते को बेपर्दा कर दिया। पंचकुला में इतनी जानें जाना इस रिश्ते की हैवानियत को सामने रख दिया। बड़े शर्म की बात है कि जिन चीजों को विधायिका को बचाना था, जिनके खिलाफ सरकारों को कार्रवाई करनी थी, अब उसके लिए न्यायपालिका को हस्तक्षेप करना पड़ रहा है। इस देश की सरकारों को अब खुद को लेकर सोचना चाहिए मगर इससे भी जरूरी यह है कि बगैर विवेक के और बगैर किसी सोच के अंधभक्ति से इस देश की जनता दूर रहना सीखे क्योंकि गलत हर हाल में गलत है, अपराध हर हाल में अपराध है, फिर भले ही वह ईश्वर ही क्यों न करे। आपका जमीर आपकी गवाही खुद देगा, आप हर चीज से भाग सकते हैं मगर खुद से नहीं भाग सकते। आपको खुद को जवाब देना है इसलिए अपनी समझ और जमीर को जिन्दा रखिए क्योंकि बगैर सोच के आप इन्सान नहीं झुंड में चलने वाली भेड़ें हैं। आज मजहब और सियासत दोनों आपको भेड़ बनाए रखना चाहते हैं, यह आपको तय करना है कि आप भेड़ बनना पसन्द करते हैं या फिर एक आजाद और समझ वाली सोच के साथ समाज को दिशा देने की पहल करते हैं। बहरहाल इस महीने से ही देश भर में उत्सवों की शुरुआत होने जा रही है। हिन्दी दिवस भी मनाया जा रहा है, आप सभी को बहुत – बहुत अग्रिम शुभकामनाएँ। साथ देते रहिए….साथ चलकर हम बहुत कुछ बेहतर कर सकते हैं।

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