शुभांगी उपाध्याय “सम्पदि यस्य न हर्षो विपदि विषादो रणे न भीरुत्वम्। तं भुवन त्रयतिलकं जनयति
नागरी प्रचारिणी सभा, हिन्दी भाषा और साहित्य तथा देवनागरी लिपि की उन्नति तथा प्रचार और
अयं निजः परोवेति गणना लघुचेतसाम् । उदारचरितानां तु वसुधैवकुटुम्बकम् ॥ (महोपनिषद्, अध्याय ६, मंत्र ७१)
भारत एक कल्पना नहीं जीवन्त सृष्टि है, भारत माता सिर्फ तस्वीर नहीं, इस देश की
“यह भारतीय स्वतंत्रता का ध्वज है। इसका जन्म हो चुका है। हिन्दुस्तान के युवा वीर
प्रत्येक स्वतंत्र राष्ट्र का अपना एक ध्वज होता है, जो उस देश के संप्रभुता होने
लोहरदगा । श्रीमद्भागवत गीता को हम सब ने पढ़ा होगा या फिर हम सब उसके
भारत में यदि रेलवे के इतिहास की बात करें, तो यह सभी लोगों को पता
पुरस्कार राशि नहीं लेगा, एक करोड़ की राशि ठुकराई गोरखपुर । सनातन धर्म और संस्कृति
फरीदाबाद । अरावली पर्वत शृंखला में बसे फरीदाबाद के कोट गांव में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण