कोलकाता : भारतीय भाषा परिषद द्वारा प्रख्यात संगीतज्ञ पं. विजय किचलू को सम्मानित किया गया। इस अवसर पर पंडित विजय किचलू ने कहा कि संगीत का साहित्य से गहरा संबंध है। एक-दूसरे के बिना दोनों अधूरे हैं। इसलिए संगीतकारों को साहित्य के शब्दों का महत्व समझना चाहिए। पंडित विजय किचलू को सारी दुनिया शास्त्रीय संगीत के संरक्षक और संवर्द्धक के रूप में जानती है। उन्होंने संगीतकारों की कई पीढ़ियों को प्रशिक्षित करवाया। उन्हें संगीत नाटक के महत्तर फैलोशिप से सम्मानित करने के बाद हाल में राष्ट्रपति द्वारा पद्मश्री भी प्राप्त हुई। भास्कर मित्र ने पंडित किचलू का परिचय विस्तार से देते हुए उनके कई पहलुओं के बारे में अवगत कराया। भारतीय भाषा परिषद में आयोजित उनके सम्मान समारोह में इसकी अध्यक्ष डॉ.कुसुम खेमानी ने अपने भावोद्गार व्यक्त करते हुए नगरवासियों की ओर से उन्हें सम्मानित किया। प्रसिद्ध संगीतज्ञ होलिकोत्सव के अवसर पर श्रीमती अबंती भट्टाचार्या ने ठुमरियों का गायन किया और अपनी संगीतमय प्रस्तुति से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। श्रीमती बिमला पोद्दार ने होली को प्रेम और उमंग का त्यौहार बताते हुए सभी को धन्यवाद दिया। समारोह का संचालन सुशील कान्ति ने किया।