शायद ही कोई इस बात से वाकिफ हो कि पिछले दो दशकों से भी ज्यादा समय से राम लल्ला के कपड़े सिलने से लेकर रोशनी और सुरक्षा की जिम्मेदारी तीन मुस्लिम निभा रहे हैं।
राम जन्मभूमि से जुड़े विवाद के बारे में सब जानते हैं, लेकिन शायद ही कोई इस बात से वाकिफ हो कि पिछले दो दशकों से भी ज्यादा समय से राम लला का वस्त्र तैयार करने से लेकर रोशनी और सुरक्षा की जिम्मेदारी तीन मुस्लिम निभा रहे हैं। जब कभी आंधी या तेज बारिश की वजह से कंटीले तार टूट जाते हैं तो लोक निर्माण विभाग अब्दुल वाहिद को याद करता है। वहीं, जब राम लला के लिए कपड़े की जरूरत पड़ती है तो सादिक अली उनके लिए कुर्ता, सदरी, पगड़ी और पायजामे तैयार करते हैं। इन दोनों के साथी महबूब आयोध्या के अधिकतर मंदिरों में चौबीसों घंटे बिजली की वयवस्था की जिम्मेदारी निभाते हैं।
‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, अब्दुल, सादिक और महबूब वर्षों से राम लला मंदिर के लिए अपनी सेवाएं दे रहे हैं। अब्दुल वाहिद को मंदिर की सुरक्षा चाक-चौबंद रखने में सहयोग करने के लिए प्रतिदिन 250 रुपये मिलते हैं। वह बताते हैं कि यह काम करके उन्हें बहुत खुशी मिलती है। सादिक का कहना है कि वह राम जन्मभूमि मंदिर के मुख्य पुरोहित के लिए भी कपड़े तैयार करते हैं, लेकिन उन्हें सबसे ज्यदा संतुष्टि राम लला के लिए वस्त्र तैयार करने में मिलती है। वह बताते हैं कि ईश्वर सबके लिए एक है। बकौल सादिक, उन्होंने राम मंदिर-बाबरी मस्जिद विवाद के सभी पक्षकारों के लिए कपड़े तैयार किए हैं। इनमें हनुमानगढ़ी मंदिर के प्रमुख रामचंद्र दास परमहंस भी शामिल रहे हैं। सादिक बताते हैं कि वह और उनका बेटा पिछले 50 वर्षों से कपड़े सिलने का काम कर रहे हैं। सत्तावन वर्ष पुरानी ‘बाबू टेलर्स’ हनुमानगढ़ी मंदिर की जमीन पर ही है, जिसके लिए किराये के तौर पर प्रति माह 70 रुपये का भुगतान करना होता है।