हिन्दी दिवस के उपलक्ष्य में कलकत्ता विश्वविद्यालय, हिन्दी विभाग द्वारा हाल ही में विभिन्न साहित्यिक व् सांस्कृतिक प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया | मुख्य अतिथि के रूप में कुलपति प्रो. सोनाली चक्रवर्ती बनर्जी ने समारोह का उद्घाटन कर विद्यार्थियों का उत्साह बढ़ाया|
अपने सारगर्भित भाषण से विभागाध्यक्ष प्रो. राजश्री शुक्ला ने कहा कि “हिन्दी से प्रेम करना हिन्दी में बड़ी डिग्रीयाँ हासिल करना नहीं, बल्कि हिन्दी शब्दों का अधिक प्रयोग करना है।” विशिष्ठ अतिथि के रूप में कलकत्ता विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. स्वागत सेन ने हिन्दी के संवैधानिक महत्व को उजागर किया | विश्वविद्यालय के कुल सचिव प्रो. राजगोपाल धर चक्रवर्ती ने वर्तमान परिपेक्ष्य में हिन्दी के महत्व को रेखांकित किया | प्रो. राम अह्लाद चौधरी ने हिन्दी भाषा के ऐतिहासिक महत्व को बताते हुए गांधी जी के योगदान तथा हिन्दी के विकास के लिए देशी, प्रादेशिक एवं अंतर्राष्ट्रीय भाषाओं के योगदान की बात कही | कार्यक्रम में काव्य आवृति, वाद विवाद, लोक गीत, आशु अभिनय, रचनात्मक लेखन तथा कविता पोस्टर प्रतियोगिताएं हुईं जिनमे बड़ी संख्या में छात्र-छात्राओं ने भाग लिया | विविध प्रतियोगिताओं के निर्णायकों के रूप में डॉ विवेक सिंह , डॉ आशुतोष कुमार, डॉ मनीषा त्रिपाठी , डॉ रेशमी पंडा मुख़र्जी, डॉ ममता त्रिवेदी, डॉ वीरेंद्र सिंह, डॉ सुनीता साव, डॉ अभिजीत सिंह, वरिष्ठ पत्रकार जयप्रकाश मिश्र , काजू कुमारी साव, रणजीत सिंह, प्रतीक सिंह, इबरार खान इत्यादि उपस्थित रहे |
विभाग के शोधार्थी विकास साव की पुस्तक “आधुनिक हिन्दी साहित्य के विविध स्तम्भ” का लोकार्पण भी विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. सोनाली चक्रवर्ती बनर्जी एवं विभागाध्यक्ष प्रो. राजश्री शुक्ल के द्वारा किया गया| कार्यक्रम का सफल संचालन विभाग के विद्यार्थी राहुल गौड और सुजाता शर्मा ने किया | कार्यक्रम को सफल बनाने में कलकत्ता विश्वविद्यालय हिन्दी विभाग के समस्त शिक्षकों एवं विद्यार्थियों का महत्वपूर्ण योगदान रहा |