अब बस एक मिस्ड कॉल पर सुनिए दादी-नानी की कहानियां 

दादी-नानी की कहानियां केवल कुछ किस्से और फंतासियां भर नहीं हैं, वो एक परंपरा हैं। एक ऐसी विरासत जो खेल-खेल में ही बच्चों में अच्छे संस्कारों और आदर्शों को प्रोजेक्ट करती है। जैसे-जैसे संयुक्त परिवार का ढांचा चरमरा रहा है, बच्चों के पास से ये सारे मौके भी छूटते जा रहे हैं। आज की पीढ़ी के बच्चों को खुद नहीं मालूम वो कितनी बड़ी चीज से हाथ धो बैठ रहे। आज के आधुनिक समाज में दादी-नानी की कहानियां और किस्से पूरी तरह से विलुप्त होते जा रहे हैं। अब न तो दादी-नानी की कहानियां रह गई हैं और न ही आज के बच्चों में कहानियां पढ़ने या सुनने की प्रवृत्ति है। ऐसे में बच्चों में बचपना कहीं खोता जा रहा है।

लोगों की चिंताएं जाहिर हैं। कुछ महीनों पहले राजस्थान सरकार ने इस बाबत एक योजना शुरू की थी जिसमें दादी-नानी की उम्र की महिलाओं को सरकारी स्कूल में आमंत्रित किया जा रहा है। ये महिलाएं हर शनिवार बच्चों को कहानियां सुनाती हैं। इसी कड़ी में एनजीओ प्रथम बुक्स ने हाइटेक होते हुए मिस्ड कॉल पर कहानियां सुनाने की अनोखी पहल शुरू की है। एनजीओ की ओर से जारी नंबर 8033094244 पर मिस्ड कॉल देकर मुफ्त में कहानी सुनी जा सकती है। इस प्रोजेक्ट को राजस्थान, मई में पंजाब, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा और यूपी में शुरू किया जा रहा है। एनजीओ के पास 2000 कहानियों का भंडार है।

मिस्ड कॉल देने के दो मिनट के अंदर कॉलबैक आएगी। हिंदी के लिए 1 और अंग्रेजी के लिए 2 दबाकर संबंधित भाषा में कहानी सुनी जा सकेगी। एक कॉल पर दो कहानी और एक नंबर से 40 कहानी सुनी जा सकेंगी। इसके साथ ही कहानी सुनने के बाद मोबाइल पर एक मैसेज आएगा। जिसमें अगर आप कहानी को सेव करना चाहते हैं तो उसके लिए इंटरनेट का एक लिंक दिया होगा। उस लिंक पर क्लिक करते ही सुनी गई कहानी लिखित रूप में आ जाएगी। ये सभी कहानियां www.storyweaver.org.in पर मुफ्त में भी पढ़ी जा सकती हैं।

बॉलीवुड सितारों की होगी आवाज

एनजीओ के सीईओ हिमांशु गिरी व रीजनल मैनेजर अभिषेक खन्ना के मुताबिक, ‘इन कहानियों को रेडियो मिर्ची ने हमें डब करवाकर दिया है। इसमें कुछ कहानियां बॉलिवुड की सिलेब्रिटीज की आवाज में भी हैं। इसमें तुषार कपूर, दिया मिर्जा समेत कई ऐक्टर शामिल हैं। इसका मुख्य उद्देश्य है कि बच्चों में पढ़ने और सुनने की संस्कृति को विकसित किया जाए।’

प्रथम बुक्स के मुताबिक, ‘राजस्थान, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा राज्यों में ये प्रोजेक्ट शुरू हो चुका है। अब इसे यूपी में भी शुरू किया जा रहा है। चार राज्यों में इसे खूब पसंद किया गया।’ एनजीओ ने यूपी सरकार को इस पायलट प्रॉजेक्ट की रिपोर्ट के साथ प्रपोजल भी भेजा है ताकि स्थाई तौर पर एक ऐसा नंबर शुरू किया जाए जिसमें ज्यादा से ज्यादा बच्चों को यह सुविधा मिले।

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