हमारे देश में बात जब अपना ख्याल रखने की आती है तो अक्सर हम नजरअन्दाज करते हैं और महिलाओं के स्वास्थ्य और शरीर की स्वच्छता या उसकी शारीरिक प्रक्रिया पर बात करने की जहमत भी नहीं उठायी जाती। शहरों में भी खुद महिलाएं भी इस पर बात नहीं करतीं तो गाँवों में तो इसकी कल्पना करना ही बेमानी है। एक आँकड़े के अनुसार 335 मिलियन महिलाओं में से सिर्फ 12 प्रतिशत महिलाएं ही सेनेटरी नैपकिन इस्तेमाल करती हैं और ग्रामीण इलाकों में तो महँगा होने के कारण महिलाएं चाहें सेनेटरी नैपकिन इस्तेमाल नहीं कर पातीं। ऐसे में यह हम सबकी जिम्मेदारी है कि इस दिशा में कदम आगे बढ़ाएं।
जुनैद एडुकेशन फाउंडेशन और बेस्ट फ्रेंड्ज सोसायटी ने यह दायित्व उठाया और ग्रामीण इलाकों में सेनेटरी नैपकिन उपलब्ध करवाने की शुरुआत की। अपराजिता को इस अभियान का हिस्सा बनने पर गर्व है क्योंकि महिलाओं के स्वास्थ्य के प्रति जागरुकता लाने के उद्देश्य चलाए जा रहे इस अभियान में पीरियड्स के प्रति जागरुकता ही नहीं फैलायी जा रही बल्कि इसके तहत ग्रामीण महिलाओं और अनाथाश्रम में रह रही लड़कियों में भी सेनेटरी नैपकिन वितरित किए जा रहे हैं। हाल ही में हावड़ा के उलूबेड़िया इलाके में यह अभियान चलाया गया। जुनैद एडुकेशन फाउंडेशन की सह संस्थापक रक्षंदा जुबीन ने कहा कि इस अभियान के माध्यम से महिला दिवस अलग अंदाज से मनाने का प्रयास किया गया। जेईएफ आम लोगों में स्वच्छता, शौचालय के इस्तेमाल, पीरियड्स को लेकर स्वच्छता व स्वास्थ्य का ध्यान, शिक्षा के प्रति जागरुकता लाने के लिए प्रयासरत है।
ग्रामीण इलाकों, शहरों की बस्तियों, शरणार्थियों के घरों और अनाथाश्रमों तक पहुँचना हमारा प्रयास है। उलूबेड़िया मस्जिदतला में 150 ग्रामीण महिलाएं इस अभियान में शामिल हुईं। इस अवसर पर परिचर्चा भी रखी गयी थी। इस मिशन के माध्यम से युवा लड़कियाँ अपने इलाके में स्वच्छता अभियान का चेहरा बन सकेंगी। बेस्ट फ्रेंड्ज सोसायटी की सचिव तथा जुनैद एडुकेशन फाउंडेशन की सह संस्थापक शगुफ्ता हनाफी ने कहा कि हमारा प्रयास लड़कियों को सेनेटरी नैपकिन्स के इस्तेमाल के प्रति जागरुक करना है। अभियान में कोई सेलिब्रिटी नहीं बल्कि ये लड़कियाँ ही चेहरा होंगी। नैपकिन्स के अतिरिक्त तौलिए, दुप्पटे और अन्य जरूरी चीजें भी वितरित की गयीं।