सियाचिन के बहादुर सैनिक हनुमनथप्पा कोप्पड़ को आज यहां सेना पदक से सम्मानित किया गया। अपने मोर्चे पर तैनाती के दौरान एक हिमस्खलन के बाद बर्फ के नीचे छह दिनों तक दबे रहने के बावजूद उन्हें मलबे से जीवित बाहर निकाला गया था। हालांकि, शरीर के कई अंगों के काम करना बंद कर देने पर उनकी मृत्यु हो गई थी।
बहादुर सैनिक की पत्नी महादेवी अशोक बिलेबाल ने सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत से सेना दिवस परेड में यह पदक प्राप्त किया।
कर्नाटक के धारवाड़ जिला स्थित बेतादुर गांव के रहने वाले एवं मद्रास रेजीमेंट के सैनिक को 30 फुट बर्फ के मलबे से जीवित बाहर निकाला गया था। वह शून्य से 45 डिग्री नीचे तापमान में सियाचिन ग्लेशियर में छह दिनों तक मलबे के नीचे जीवित रहे थे। दरअसल, उनकी तैनाती का स्थल तीन फरवरी को हिमस्खलन की चपेट में आया था। इस घटना में कोप्पड सहित 10 सैन्यकर्मी जीवित दफन हो गए थे। सियाचिन दुनिया की सबसे उंचाई पर स्थित लड़ाई का मैदान है। छह दिनों की बचाव कोशिश के बाद कोप्पड को बर्फ के नीचे जीवित पाया गया था लेकिन उनकी हालत नाजुक थी। लांस नायक को इलाज के लिए दिल्ली लाया गया था, जहां 11 फरवरी :पिछले साल: को उनकी मृत्यु हो गई।