इस वर्ष राष्ट्रीय वीरता पुरस्कारों के लिए चयन किए गए बच्चों में दार्जिलिंग उच्च विद्यालय की दो बालिकाएं हैं जिनकी मदद से सीमा पार देह व्यापार के गिरोह का भांडाफोड़ हुआ था। इनके अलावा आठ वर्षीय अरूणाचल प्रदेश की बच्ची भी है जिसने नदी में से अपने दोस्त को बचाने के लिए अपनी जान गवां दी थी।
असाधारण वीरता का प्रदर्शन करने के लिए तरह तराह पीजू को मरणोपरांत प्रतिष्ठित भारत पुरस्कार दिया जाएगा जबकि पश्चिम बंगाल की तेजस्विता प्रधान :18: और शिवानी गौंड :17: को प्रतिष्ठित गीता चोपड़ा पुरस्कार के लिए चुना गया है।
तेजस्विता और शिवानी एक अधिकार एनजीओ की स्वयंसेवक हैं। उन्होंने पहले फेसबुक पर एक नाबालिग लड़की से दोस्ती की जो नेपाल से लापता हो गई थी जो आखिरकार एक मानव तस्करी गिरोह की वाहक निकली।
तेजस्विता ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘ कक्षा आठ से मैं स्टूडेंट्स एगेंस्ट ट्रैफिकिंग क्लब :एसएटीसी: की स्वयंसेवी थी जिसका संचालन एमएआरजी नाम के गैर सरकार संगठन के तहत होता है जो मानव तस्करी को रोकने के लिए काम करता है। एनजीओ को एक लापता लड़की का पता लगाने के लिए एक अनुरोध मिला और वे चाहते थे कि मैं देह व्यापार के गिरोह का भांडाफोड़ करने वाली योजना का हिस्सा बनूं। मैं और मेरे परिवार को शुरू में संशय था लेकिन हम दोनों ने इसे करने का फैसला किया क्योंकि यह अच्छे के लिए था।’’ एमएआरजी :मैनकाइंड एन एक्शन फॉर रूरल ग्रोथ: के लिए काम करने वाले शिवानी के भाई विशाल गौंड ने कहा, ‘‘ वह गिरोह का भांडाफोड़ करने वाली योजना का हिस्सा बनने को तैयार हो गई जिसे पुलिस, सीबीआई ने बनाया और हमने :एनजीओ: उनकी सहायता की थी।’