लघु नाटक मेले के साथ आरम्भ हुआ 22वां हिंदी मेला
हिंदी मेला नौजवानों का मेला है जो नौजवानों के लिए नौजवानों द्वारा किया जाता है। वरिष्ठ आलोचक तथा सांस्कृतिक पुनर्निर्माण मिशन के अध्यक्ष डॉ. शम्भुनाथ ने22वें हिंदी मेले के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए नौजवानों को सन्देश दिया कि वे हिंदी मेले से गुजरने के बाद सांस्कृतिक अँधियारे से घिरे समाज को सूर्य की तरह आलोकित करें। मेले का उद्घाटन छपते – छपते तथा ताज़ा टीवी के प्रमुख विश्वम्भर नेवर ने किया। उन्होंने हिंदी मेले द्वारा किये जा रहे निरंतर प्रयास की सराहना की। मुख्य अतिथि के रूप में कवि मानिक बच्छावत उपस्थित रहे। मेले की शुरुआत लघु नाटक मेले के साथ हुई। इस अवसर पर वरिष्ठ रंगकर्मी जितेंद्र सिंह ने कहा कि सारी विधाओं का समावेश नाटक में हैं और हिंदी मेले जैसे उत्सव रोज होने चाहिए।
कवयित्री निर्मला तोदी ने कहा कि नाटक अवसाद को दूर करता है। उद्घाटन सत्र में रंगकर्मी महेश जायसवाल तथा सुरेश शॉ ने भी अपने विचार रखे। लघु नाटक मेले में माधव मिश्र सम्मान सोमनाथ चक्रवर्ती को प्रदान किया गया। मेले में प्रतिवेदन मिशन के महासचिव डा. राजेश मिश्र ने दिया। लघु नाटक मेले में 16 नाटकों का मंचन किया गया। कार्यक्रम का संचालन ममता पाण्डेय तथा अनिता राय ने किया। अग्रसेन बालिका शिक्षा सदन की तरफ से बूढ़ी काकी, संकल्प कला मंच की तरफ से संस्कार और भावना, रेनेसां की ओर से शर्त, नील दर्पण की तरफ से पिज्जा, आदर्श माध्यमिक की तरफ से अहमियत, नीलांबर की तरफ से द स्पून, आरबीसी सांध्य महाविद्यालय की तरफ से सदाचार की ताबीज, फ्लेम की तरफ से द फ्लेम, महाराजा मनींद्र चंद्र कॉलेज की तरफ से हिंदी बोल रही, अम्बेदकर पब्लिक स्कूल की तरफ से नई सोच नई उड़ान, सरोजनी नायडू कॉलेज की ओर से औरत, प्रकाश ग्रुप की तरफ से मंत्र, विद्यासागर विश्वविद्यालय की तरफ से दंडाराज, सेंट लुईस डे स्कूल की तरफ से जामुन का पेड़, खिदिरपुर कॉलेज की तरफ से रिफंड और कालकूट की तरफ से दादी मां का भूत प्रस्तुत किया गया।