पुणे: महाराष्ट्र टीम के कैप्टन स्वप्निल गुगाले (351रन नॉटआउट) ने अंकित बावने के साथ मिलकर रणजी में किसी भी विकेट के लिए सबसे लंबी पार्टनरशिप का 70 साल पुराना रिकॉर्ड तोड़ डाला। ‘टाइगर’ नाम से फेमस पुणे के रहने वाले स्वप्निल ने 11 साल की उम्र में पिता से कहा था, पापा बड़ा घर ले लीजिए इस घर में मेरी ट्रॉफीज के लिए जगह नहीं बचेगी। 5 साल की उम्र से खेल रहे हैं क्रिकेट…
25 वर्षीय स्वप्निल की इस सफलता पर उनके पुणे स्थित घर में जश्न का माहौल है। बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ है। उनके पिता मनसुख गुगाले ने स्वप्निल के बचपन की यादों को साझा करते हुए बता कि, वे 5 साल की उम्र से क्रिकेट खेल रहे हैं। एक दिन बेटे को बैट से खेलता देख मनसुख ने तय किया कि, वे उन्हें क्रिकेटर ही बनाएंगे। अपने दोनों बेटों (रोहित और स्वप्निल) का दाखिला एक ऐसे स्कूल (सेठ दगडूराम कटारिया स्कूल) में करवाया जहां तीन प्ले ग्राउंड थे। उनके रिश्तेदारों और दोस्तों ने इसका विरोध भी किया लेकिन मनसुख नहीं माने। उन्होंने स्वप्निल की पढ़ाई से ज्यादा उनके क्रिकेट पर फोकस किया। स्वप्निल के करियर में एक बड़ा योगदान उनके स्कूल के कोच विलास गोगरे का भी है, विलास उन्हें छठवीं क्लास से ट्रेनिंग दे रहे हैं।
कोच की मेहनत और अपनी लगन से स्वप्निल 11 साल की उम्र में स्कूल टीम में शामिल हो गए और एक मैच ने उन्हें लाइमलाइट में ला दिया। स्वप्निल के भाई रोहित गुगाले ने बताया कि, “जी.एन पेटिट और कटारिया स्कूल के बीच मैच था। कटारिया स्कूल को 130 रन चाहिए थे और उनके 17 रन पर 6 विकेट गिर चुके थे।”
“इसके बाद क्रीज पर स्वप्निल उतरे और उन्होंने टीम के टेलेंडर्स(पीछे के खिलाड़ियों) के साथ मिलकर यह मैच जीत लिया। रोहित ने बताया कि, “पुणे के नेहरु स्टेडियम में ट्रायल चल रहे थे। पूरे राज्य से तकरीबन 500 खिलाड़ी यहां पहुंचे थे।” “स्वप्निल ने पहले 250 खिलाड़ियों में, फिर 25 में और अंत में महाराष्ट्र के प्लेइंग 11 में जगह बना ली। स्वप्निल की परफॉर्मेंस देख सिलेक्टर भी हैरान हो गए थे।”
बोलने-सुनने में सक्षम नहीं हैं मां
स्वप्निल के परिवार में रोहित और मनसुख के अलावा उनकी मां राजश्री गुगाले, भाभी वर्षा गुगाले और 3 साल की भतीजी हिरल है। उनकी इस सफलता के पीछे उनकी मां और भाभी का बड़ा हाथ है। स्वप्निल की डाइट की पूरी जिम्मेदारी उनकी भाभी के ऊपर है। उनकी मां राजश्री बोलने और सुनने में सक्षम नहीं हैं। इसके बावजूद उन्होंने स्वप्निल को हमेशा क्रिकेट खेलने के लिए प्रोत्साहित किया। पेशे से सॉफ्टवेयर इंजीनियर रोहित ने बताया कि,”मां बोल नहीं सकती, लेकिन उन्होंने हम दोनों भाइयों की परवरिश में कभी कोई कमी नहीं रखी।”
स्वप्निल अपनी फिटनेस के लिए डेली दो घंटे जिम में पसीना बहाते हैं। इसके बाद वे ग्राउंड में तकरीबन 5-6 घंटे क्रिकेट प्रैक्टिस करते हैं।क्रिकेट के अलावा स्वप्निल को म्यूजिक बहुत पसंद है, वे हर बड़े रॉक स्टार को फॉलो करते हैं।
स्वप्निल पुणे में ‘टाइगर’ नाम से फेमस हैं। यह नाम उनके पिता ने उन्हें दिया है।
मनसुख ने बताया कि, “स्वप्निल बचपन से बहुत शरारती और जिद्दी स्वभाव के हैं। वे एक टाइगर की तरह फुरतीले और कभी न थकने वाले खिलाड़ी रहे हैं।””हमें इस बात का विश्वास है कि, स्वप्निल एक दिन टीम इंडिया का पार्ट जरुर बनेंगे।”
मनसुख के मुताबिक, स्वप्निल ने लगभग हर बड़े मैच में ट्रॉफी जीती है। उन्होंने एक किस्से को याद करते हुए बताया कि,”जब स्वप्निल छोटे थे तो उन्होंने एक दिन मुझे से कहा,पापा मैं हर मैच में ट्रॉफी लेकर आता हूं। हमारा ये घर बहुत छोटा है इन्हें रखने के लिए।”बेटे के इस सपने को पूरा करने के लिए मनसुख ने एक बड़ा घर लिया। आज उनका ये घर भी स्वप्निल की ट्रॉफीज से भरा पड़ा है। बेटे की सफलता के बाद घर में बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ है। मनसुख ने बताया कि, वे जैन कम्युनिटी से आते हैं। बेटे की सफलता पर पूरे जैन समुदाय ने उन्हें बधाइयां दी हैं।
पिता को टीम इंडिया में सिलेक्शन की उम्मीद
इस मैच में स्वप्निल ने 351 नॉटआउट स्कोर किया है। वे ट्रिपल सेंचुरी स्कोर करने वाले महाराष्ट्र के चौथे बैट्समैन हैं। स्वप्निल ने पहला रणजी ट्रॉफी मैच 2010 में राजस्थान के खिलाफ खेला था। इसके बाद उन्हें 2014 तक कोई बड़ा मौका नहीं मिला। 2015 में उन्होंने कुछ खास स्कोर नहीं किया, लेकिन अपनी मेहनत और लगन से फिर एक बार 2016 में वे कमाल करने में कामयाब हुए हैं। ये फर्स्ट क्लास क्रिकेट में उनका पर्सनल बेस्ट भी है। स्वप्निल शुरू से ही कैप्टन मटेरियल रहे हैं। वे अब तक क्रिकेट के लगभग सभी फॉरमेट में कप्तान रह चुके हैं।
उनके लीडरशिप में महाराष्ट्र ने 2009 में अंडर-19 वीनू मांकड़ ट्रॉफी और 2014 में कूंच बिहार ट्रॉफी जीती थी। वर्ल्ड रिकॉर्ड से चूकने पर मनसुख का कहना है कि, “स्वप्निल की इस परफारमेंस से पूरा परिवार खुश है।” “उन्होंने टीम के लिए खेला अगर मैच 4 की जगह पांच दिन का होता तो यह वर्ल्ड रिकॉर्ड भी बन सकता था।” सचिन, सहवाग समेत टीम इंडिया के कई बड़े नाम स्वप्निल के खेल की तारीफ कर चुके हैं।