नई दिल्ली.ओडिशा के दाना मांझी अपनी एक बेटी को डॉक्टर और दूसरी को पुलिस अफसर बनाना चाहते हैं, ताकि वे गांव के गरीबों की मदद कर सकें। मांझी वही शख्स हैं, जिन्हें पत्नी की मौत के बाद उसकी डेड बॉडी को कंधे पर लादकर मजबूरन 13 किमी पैदल चलना पड़ा था। कालाहांडी के हॉस्पिटल ने इन्हें एम्बुलेंस देने से इनकार कर दिया था। मामला सामने आने के बाद काफी विवाद हुआ था। गुरुवार को मांझी फ्लाइट से दिल्ली पहुंचे। उन्हें बहरीन के किंग की ओर से 8.87 लाख रुपए का चेक सौंपा गया। इस मौके पर मांझी ने बेटियों को आगे पढ़ाने की इच्छा जाहिर की।
”मैं चाहता हूं कि मेरी एक बेटी डॉक्टर बने और गांव के गरीबों की सेवा करे। दूसरी को पुलिस अफसर (आईपीएस) बनाना चाहता हूं।’ हॉस्पिटल का वाकया याद कर इमोशनल हुए मांझी ने कहा, “मैं कई बार लोगों के सामने गिड़गिड़ाया, लेकिन किसी ने मेरी नहीं सुनी।” ”डॉक्टरों ने भी कोई मदद नहीं की, क्योंकि मेरे पास एम्बुलेंस के लिए पैसे नहीं थे।”
– ”ऐसी स्थिति में मेरे पास सिर्फ एक ही रास्ता था कि पत्नी की बॉडी कंधे पर उठाऊं और बेटी के साथ घर की ओर चल दूं।’ बता दें कि अगस्त में कालाहांडी के सरकारी हॉस्पिटल में मांझी की पत्नी की मौत हो गई थी। उसे टीबी की बीमारी थी। मांझी जब पत्नी का शव कंधे पर लेकर चले, तो उस दौरान उनके साथ रोते-बिलखते हुए बेटी चांदनी भी थी।
यह मामला कई दिनों तक सुखिर्यों में रहा था। सोशल मीडिया में मांझी को भारी समर्थन मिला था।
भुवनेश्वर का कलिंगा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस (KISS) मांझी की बेटियों चांदनी (13), सोबेई (7) और प्रमिला को फ्री एजुकेशन देगा। ओडिशा से दिल्ली आने के लिए इंस्टीट्यूट ने ही मांझी की एयर टिकट का इंतजाम किया। प्रोग्राम के बाद मांझी बोले- मैं फ्लाइट से ओडिशा जाऊंगा। KISS के फाउंडर और सोशल वर्कर अचुत्य सामंता ने मांझी के केस को बहरीन के किंग के पास पहुंचाया था। मांझी को सुलभ इंटरनेशनल से भी 5 लाख रुपए की मदद मिली है। बेहद गरीब मांझी के पास सरकार की दी हुई थोड़ी जमीन है, जिसमें वे खेती कर गुजर-बसर करते हैं।