रियो ओलंपिक में देश को बेटियों ने मेडल जिताए। क्या आप जानते हैं कि देश में एक गांव ऐसा है, जहां बेटियां भैंसों के साथ प्रैक्टिस करके चैम्पियन बनी हैं। बात हो रही है, हरियाणा के भिवानी जिले के गांव अलखपुरा की। यहां का दौरा करेंगे तो खेल के प्रति बेटियों का जज्बा नजर आ जाएगा।
बिना किसी साधन सुविधा और ग्राउंड के, इस गांव की लड़कियां फुटबाल की प्रैक्टिस करती हैं और इसी तरह प्रैक्टिस कर कर के वे अब तक राज्य और नेशनल स्तरीय खेलों में हिस्सा ले चुकी हैं। इस गांव की लड़कियां साल 2009 से अंडर 14, अंडर 17 और अंडर 19 के चैम्पियन हैं।
2012 में हुए सुब्रतो मुखर्जी इंटरनेशनल टूर्नामेंट में इस गांव के खिलाड़ी तीसरे नंबर पर रहीं। 2013 में दूसरे नंबर पर और 2015 में उन्होंने मणिपुर को हराकर टूर्नामेंट अपने नाम किया था। यहां तक कि खिलाड़ी नवंबर 2016 में होने वाले सुब्रतो कप में अंडर 17 कैटेगरी में भी क्वालीफाई हो चुकी हैं, लेकिन प्रैक्टिस करने के नाम पर कोई सुविधा नहीं।
तालाब के किनारे प्रैक्टिस करती हैं लड़कियां
ऐसे में लड़कियां गांव के बीचों बीच बने तालाब के किनारे प्रैक्टिस करती हैं, वो भी नहा रही भैंसों के साथ। उधर भैंसे तालाब में नहा रही होती हैं और उधर खिलाड़ी तालाब के किनारे फुटबाल का अभ्यास कर रहे होते हैं। न कोई नेट और न कोई लाइन। बॉल तालाब में चली जाए तो उसे भी तैरकर बाहर निकालना पड़ता है। मजदूरों और कारीगरों की इन बेटियों ने अब इसी जुगाड़ के मैदान को अपनी किस्मत मान लिया है, जिसका परिणाम चैम्पियनों के रूप में सभी के सामने है।
गांव में कोई जिम भी नहीं है। ऐसे में लड़कियां रेत के मैदान में दौड़ लगाकर ही खुद को वार्मअप करती हैं। एक्सरसाइज करके खुद को एक्टिव रखती हैं। इन खिलाड़ियों को स्पोर्ट्स किट और शूज फिजिकल ट्रेनिंग इंस्ट्रक्टर गोर्धन दास उपलब्ध कराते हैं। इसके लिए वे गांव-गांव घूमकर चंदा इकट्ठा करते हैं। इन्होंने 2006 में लड़कियों के लिए फुटबाल की शुरूआत की थी।