रायपुर.देश के अलग-अलग हिस्सों में स्कूलों के टीचर अक्सर हड़ताल और दूसरी उटपटांग हरकतों की वजह से चर्चाओं में रहते हैं। लेकिन छत्तीसगढ़ में इससे बिलकुल अलग मामला देखने को मिला है। बारिश के दौरान बच्चों की क्लास न छूट पाए, यहां सरकारी स्कूलों तक पहुंचने के लिए टीचर नदी की तेज धार का सामना करते हैं। बरसात में जान जोखिम में डालकर वे यह रोज का सफर तय करते हैं।
मिसाल से कम नहीं है शिक्षकों की यह जिद, छत्तीसगढ़ में कहां का है मामला…
रायपुर से महज 80 किमी दूर है राजनांदगांव जिला का मानपुर। वहां से 15-20 किमी अंदर हैं चावरगांव, मुंजाल और सहपाल गांव।इन गांवों के स्कूलों में पढ़ाने वाले टीचर्स का सफर काफी मुश्किल भरा है। बसेली नाम के इलाके तक गाड़ी जाती है और उसके बाद मुश्किलों भरा सफर शुरू होता है। यहां कोटरी नदी उफान पर हाेने के कारण रास्ता बदलना पड़ता है। इसके बाद नदी पार करने के लिए खेत के रास्ते दो किमी और पैदल चलना होता है। इस 2 किमी के सफर में 4 फीट तक पानी है, इसलिए इन टीचर्स ने जूते और कपड़े हाथ में ले लिए। एक जोड़ी कपड़ा बैग में एक्स्ट्रा रखने होते हैं।इसके बाद गांव की 4-5 किमी का सफर पैदल पगडंडियों के सहारे पूरा होता है।इस मुश्किल सफर का मकसद सिर्फ बच्चों की पढ़ाई है। इस सारी कवायद में काफी जोखिम होता है, लेकिन ये टीचर्स कैसे भी स्कूल जाने की पूरी कोशिश करते हैं। सहपाल के टीचर मो. रफीक खान, चावरगांव के एचएम रामलाल मंडावी, सहपाल के एचएम कोदूराम नेताम, राजेंद्र वर्मा, त्रिवेद साहू इस सफर के दौरान ही पढ़ाई का शेड्यूल भी बना लेते हैं।