वाराणसी : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी लोकसभा सीट से परचा दाखिल करने के बाद जिन अन्नपूर्णा शुक्ला के पांव छुए थे, उन्होंने ही इंग्लैंड को भी झुकने के लिए मजबूर कर दिया था। अन्नपूर्णा की ही देन है कि आज दुनिया भर के हर ‘बेबी फ़ूड’ पर लिखा होता है कि ‘मां का दूध बच्चे के लिए सबसे उपर्युक्त आहार है’. अन्नपूर्णा वाराणसी लोकसभा सीट पर 2019 के चुनावों के लिए इस बार पीएम मोदी की चार प्रस्तावकों में से एक हैं.
आपने अक्सर बेबी फ़ूड प्रोडक्ट्स पर लिखा देखा होगा कि, ‘मां का दूध नवजात के लिए बेहद जरूरी है क्योंकि यह बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास करता है।’ खासकर बच्चों के लिए आने वाले दूध के पाउडर के डब्बों पर ये ज़रूर लिखा रहता है। अन्नपूर्णा शुक्ला ने ही अपनी रिसर्च में पाया था कि माँ के दूध से बेहतर नवजात बच्चों के लिए कुछ भी नहीं है। इस रिसर्च के सामने आने के बाद ब्रिटेन की सबसे बड़ी बेबी फूड कंपनी ने इस बात को अपने हर प्रोडक्ट की पैकेजिंग के साथ छापना शुरू किया था।
बता दें कि अन्नपूर्णा की रिसर्च को ध्यान में रखकर ही ड़ब्ल्यूएचओ (वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन) ने नवजात के लिए छह महीनों तक मां का दूध ज़रूरी करार दिया था। उनकी ये रिसर्च साल 1969-72 में ब्रिटिश मेडिकल जर्नल में प्रकाशित हुई थी। ये उनकी पीएचडी का रिसर्च टॉपिक भी था। अन्नपूर्णा बताती हैं कि हमने पाया था कि जो लोग नवजात के स्तनपान पर ध्यान नहीं दे रहे थे उनके बच्चे ओवरवेट और कम सक्रिय थे। इन रिसर्च के बाद कुछ बेबी फ़ूड कंपनियों ने तो ये सन्देश छापने पर सहमति दे दी थी लेकिन कुछ ऐसा करने पर ऐतराज जाता रहे थे जिन्हें ड़ब्ल्यूएचओ के निर्देशों के बाद ऐसा करना पड़ा था।
अन्नपूर्णा ने एक अंग्रेजी अखबार से बातचीत में बताया कि जब मोदी ने उनके पांव छुए तो उन्होंने सिर्फ इतना कहा- ‘तुम और ऊंचे शिखर पर जाओगे।’ बता दें कि अन्नपूर्णा शुक्ला को मदन मोहन मालवीय की मानस पुत्री माना जाता है। अन्नपूर्णा शुक्ला बीएचयू महिला महाविद्यालय की प्रोफ़ेसर रही हैं और उन्होंने मेडिकल की पढ़ाई भी बीएचयू से ही की है। अन्नपूर्णा लहुराबीर स्थित काशी अनाथालय की संस्था वनिता पॉलीटेक्निक की मानद निदेशिका भी हैं। अन्नपूर्णा शुक्ला के पति बीएन शुक्ला गोरखपुर विवि के कुलपति रह चुके हैं और रूस में भारत के राजनयिक भी रहे हैं।