कोलकाता में सात दिवसीय हिंदी मेले का प्राक रजत जयन्ती वर्ष समाप्त हुआ। हिंदी मेला भारतीय संस्कृति की एक टूट रही कड़ी को बचाने का प्रयास है। यह हिंदी समाज को अपनी साहित्यिक विरासत और उच्च मूल्यों को बचाये रखने की प्रेरणा देता है। अपराजिता में हिन्दी मेले के प्राक रजत जयन्ती वर्ष की सिलसिलेवार रपट दी जा रही है –
पहला दिन – उद्घाटन और लघु नाटक प्रतियोगिता
युवाओं के बीच इसकी लोकप्रियता हिंदी के प्रति उनके गहरे प्रेम का सबूत है। आज राममोहन हॉल में सांस्कृतिक पुनर्निर्माण मिशन द्वारा आयोजित हिंदी मेला के पहले दिन नाट्योत्सव का उद्धाटन करते हुए प्रसिद्ध साहित्यकार विजय बहादुर सिंह ने यह बात कही। आज से 6 दिनों तक हिंदी मेला इसी इलाके के फेडरेशन हॉल में चलेगा। हिंदी मेला का यह मंच का नाम कवि केदारनाथ सिंह को समर्पित है। उद्धाटन समारोह में प्रसिद्ध पत्रकार विश्वंभर नेवर ने कहा कि हिंदी मेला निरंतर 24 सालों तक सफलता पूर्वक करते रहना बंगाल में हिंदी के सम्मान को बनाए रखने का एक बड़ा संकल्प है। इसे हिंदी भाषियों का व्यापक सहयोग मिलना चाहिए। रामनिवास द्विवेदी ने कहा कि हिंदी मेला कलकत्ते का गौरव और हिंदी भाषियों के आत्मविश्वास का प्रतीक है। संस्था के महासचिव डॉ राजेश मिश्र ने कहा कि हिंदी मेले के रजक जयंती वर्ष का आगाज है इस साल का हिंदी मेला। मिशन के अध्यक्ष डॉ शंभुनाथ ने कहा कि हिंदी मेला युवाओं का, युवाओं द्वारा और युवा के लिए एक राष्ट्रीय अभियान है। इसका लक्ष्य एक ऐसी संस्कृति का निर्माण करना है जिसमें सहिष्णुता, भाईचारा और नए सृजन का प्रवेश हो। हिंदी मेला एक सांस्कृतिक उपलब्धि है। इस अवसर पर दिवंगत रचनाकारों के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए दो मिनट का मौन रखा गया। नाट्योत्सव में विश्वविद्यालयों, कॉलेजों और नाट्य संगठनों को मिलाकर कुल 20 दलों ने हिस्सा लिया।
इसमें प्रेसीडेंसी विश्वविद्यालय, विद्यासागर विश्वविद्यालय, आर.बी.सी कॉलेज, खुदीराम बोस सेंट्रल कॉलेज, राजा नरेंद्र लाल खान वुमेन कॉलेज, आर.बी.सी. सांध्य कॉलेज, मनींद्रचंद्र कॉलेज, महाराजा श्रीशचंद्र कॉलेज, नारायणा स्कूल, आदर्श बालिका विद्यालय, आर्य कन्या महाविद्यालय, नैहट्टी आनंद स्वरूप हाई स्कूल, इंद्रा द गुरुकुल, भोजपुरी साहित्य विकास मंच, विलीभ, नीलांबर नाट्य दल, रेनेसां नाट्य दल, इग्नू, हमारा प्रयास, फॉस्ट ट्रैक संस्था, रिषी स्टडी मिशन और दिनेश क्लासेस संस्था ने हिस्सा लिया। नाटक के निर्णायक मंडल में थे महेश जायसवाल, प्लावन बसु और सुशील कांति। नाट्योत्सव का संचालन ममता पांडेय और अनिता राय ने किया। हिंदी मेला के पहले दिन धन्यवाद देते हुए मिशन के संयुक्त महासचिव प्रो. संजय कुमार जायसवाल ने कहा कि हिंदी मेला कट्टरवाद और अपसंस्कृति के समानान्तर स्वस्थ भारतीय संस्कृति का मंच है। हिंदी मेले के पहले दिन हुए लघु नाटक प्रतियोगिता में श्रेष्ठ प्रस्तुति का शिखर सम्मान विद्यासागर विश्वविद्यालय (मिदनापुर), श्रेष्ठ निर्देशक पंकज सिंह, ऋषि बंकिम चंद्र सांध्य महाविद्यालय, श्रेष्ठ अभिनेत्री कौशिकी बोस, नारायणा स्कूल, श्रेष्ठ अभिनेता विशाल पांडेय, नीलांबर कोलकाता, श्रेष्ठ बाल अभिनेता का पुरस्कार पीयूष चौधरी, स्टडी मिशन को मिला।
दूसरा दिन – रंगों और ज्ञान में बिखरी सृजनातत्मकता
हिंदी मेला के दूसरे दिन हिंदी ज्ञान प्रतियोगिता में विद्यार्थियों ने बड़े उत्साह से भाग लिया। इस अवसर पर स्कॉटिश चर्च कॉलेज की डॉ. गीता दूबे ने कहा कि यह प्रतियोगिता विद्यार्थियों के मस्तिष्क को मुक्त और उर्वर बनाने के लिए है। आज हिंदी के विद्यार्थी अपनी भाषा, अपने समाज और अपनी सभ्यता को जाने बिना विकास की दौड़ में पिछड़ जाएंगें। खिदिरपुर कॉलेज की प्रो. इतु सिंह ने कहा कि हिंदी मेला ज्ञान का संगम है और इससे हिंदी की सांस्कृतिक क्षमता का बोध होता है। इस युग में युवाओं को परीक्षा की तैयारी के अलावा भी देश-दुनिया का ज्ञान रखना होगा। रितेश पांडेय ने चित्रांकन प्रतियोगिता के संदर्भ में कहा कि विद्यार्थियों ने गांधी की अहिंसा पर सुंदर चित्र बनाकर अपने देश के मूल स्वर को रंगों के माध्यम से व्यक्त किया है। चित्रकला रंगों के जरिए सृष्टि एवं समाज की कलात्मक अभिव्यक्ति है। चित्रांकन और कविता पोस्टर में बड़े पैमाने पर शिशुओं और युवाओं ने भाग लिया। चिंत्राकन प्रतियोगिता के शिशु वर्ग में शिखर सम्मान लोपामुद्रा सेन, ओरियंटल पब्लिक स्कूल, प्रथम स्थान प्रथमा साव, कांकीनाड़ा सेंट्रल स्कूल, द्वितीय स्थान लावण्या साव, तृतीय स्थान अनामिका घोष, साउथ काजीपाड़ा ब्यॉज प्राइमरी स्कूल, चतुर्थ स्थान अलीना परवीन, पंचम स्थान ऋषभ राय, डेफ्फोडिल हाई स्कूल एवं षष्ट्म स्थान नेहा उराव को प्राप्त हुआ।
अ वर्ग में शिखर सम्मान सुनीता चौरसिया, रिसड़ा विद्यापीठ, प्रथम स्थान राजकुमारी बरमन, द्वीतीय स्थान राजदीप साहा, दिल्ली पब्लिक स्कूल, तृतीय स्थान श्री राव, हरिप्रसाद प्राइमरी, चतुर्थ स्थान प्रीति साव, सोहनलाल देवरालिया बालिका विद्यापीठ, पंचम स्थान सुनीता कुमारी साव, जयपुरिया कॉलेज, षष्ट्म स्थान अर्चना झा, सोहनलाल देवरालिया, सप्तम स्थान निधि साव, सेंट ल्यूक डे स्कूल को प्राप्त हुआ है। कविता पोस्टर प्रतियोगिता में शिखर सम्मान आदित्य प्रकाश साव, आमडांगा सरकारी आईटीआई कॉलेज, प्रथम स्थान पर रहमत अली, कांकीनाड़ा हिमायतुल गुर्बा हाई स्कूल, द्वीतीय स्थान पर अनामिका सिंह, भवानीपुर एडुकेशन सोसाइटी, तृतीय स्थान पर कार्तिक सुरोलिया, बेथुन कॉलेज, चतुर्थ स्थान पर स्वाती रेक्ता, गोप कॉलेज(मिदनापुर) हैं। हिंदी ज्ञान प्रतियोगिता वर्ग अ का शिखर सम्मान आदर्श हिंदी हाई स्कूल को मिला।
तीसरा दिन – काव्य आवृत्ति में दिखी युवाओं व साहित्य की प्रखरता
सांस्कृतिक पुनर्निर्माण मिशन द्वारा आयोजित हिंदी मेला के तीसरे दिन बच्चों और नौजवानों ने फेडरेशन हॉल में हिंदी की श्रेष्ठ कविताओं की गंगा उतर आई। निराला, अज्ञेय, दिनकर, मुक्तिबोध, नागार्जुन, केदारनाथ अग्रवाल, सर्वेश्वर दयाल सक्सेना, राजेश जोशी, अरुण कमल, विनोद कुमार शुक्ल, कुमार अंबुज, अवतार सिंह पाश और विशेषकर केदारनाथ सिंह की कविताओं का पूरे आरोह-अवारोह और गहरी भावनाओं के साथ आवृति की गई। हिंदी में काव्य आवृति परंपरा के उत्कर्ष पर टिप्पणी करते हुए कवि राज्यवर्द्धन ने कहा कि विद्यार्थियों द्वारा अधिक से अधिक कविताएं कंठस्थ करना और पाठ करना उनमें अच्छी भाषा के संस्कार पैदा करते हैं। डॉ रिषिकेश रॉय का कहना था कि नौजवानों द्वारा काव्य आवृति का निरंतर अभ्यास नई पीढ़ी की मानवता पर आस्था की सूचना है। प्रो. सुनंदा चौधरी राय ने कहा कि जैसा मैंने अनुभव किया कि हिंदी मेला वास्तव में दृष्टि बोध की तैयारी का मंच है। यहां विद्यार्थी अपने व्यक्तित्व को निखारने का सक्षम प्रयास करते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि कविता के चमन को कंठस्थ करना और एक बड़े श्रोताओं के समक्ष पाठ करना एक नई संस्कृति की नींव रखना है। हिंदी के विद्यार्थी पाठ्यक्रम से बाहर जाकर हिंदी की श्रेष्ठ कविताओं को अपने जीवन का अंग बना रहे हैं।
कविता विद्वेष और हिंसा के विरुद्ध मानवता की आवाज है। सुनीता श्रीवास्तव ने कहा कि हिंदी को आगे बढ़ाने में हिंदी मेला मील पत्थर की तरह महत्वपूर्ण भूमिका निभाता रहा है। हिंदी मेला का यह आयोजन हिंदी भाषियों को एक सशक्त मंच प्रदान करता है। रिंतेश पांडेय ने कहा कि काव्य आवृति मेला ने कविताओं को विद्यार्थों और उनके माध्यम से जनता में लोकप्रिय बनाने का कार्य किया है। संजय राय ने कहा कि काव्य संस्कार तैयार करने में काव्य आवृति जैसी प्रतियोगिताओं की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। पूरा का पूरा दिन कविताओं के बीच बिताना एक सुखद अनुभव होता है। सौमित्र जायसवाल ने कहा कि कविताएं मनोयोग से सुनना भी एक कला है। ममता पांडेय ने काव्य आवृति का संचालन करते हुए काव्य आवृति को एक चुनौतीपूर्ण कला है। काव्य आवृति प्रतियोगिता के शिशु वर्ग का शिखर सम्मान नलिनी साहा, सेंट ल्यूक्स डे स्कूल, प्रथम पुरस्कार लावण्या साव, सेंट ल्यूक्स डे स्कूल, द्वितीय पुरस्कार अन्वी साव, गुरुकुल ग्लोबल स्कूल, चतुर्थ स्थान पर अनुप्रिया सिंह, द हेरिटेज स्कूल, विशेष पुरस्कार निंकुज नागोरी, अस्मी सिंह, इशिका चौहान, लीजा कर्मकार, वैष्णवी कुमारी साव को मिला। वर्ग अ का शिखर सम्मान नेहल मोदी, महादेवी बिड़ला अकादमी, प्रथम स्थान रौनक पांडेय, डॉन बास्को लिलुआ स्कूल, द्वितीय उदयवीर अग्रवाल, लक्ष्मीपत सिंघानिया, तृतीय स्थान स्वाती सिंह, सेठ सूरजमल जालान बालिका विद्यालय, अश्विका सिंह विशेष पुरस्कार नीरव नागोरी, दिव्यांशु सिंह, जेबा परवीन, जयप्रकाश यादव को मिला।
चौथा दिन – काव्य संगीत, लोकगीत व भाव नृत्य से जुड़कर निखरा साहित्य
सांस्कृतिक पुनर्निर्माण मिशन के हिंदी मेला का चौथा दिन काव्य संगीत,लोकगीत और भाव नृत्य को समर्पित था। शुरूआत गांधी के प्रिय भजन वैष्णव जन तो तैने कहिए जे पीर पराई जाने के गायन से हुई। कबीर, मीरा, प्रसाद, नागार्जुन और दुष्यंत कुमार की कविताओं को संगीत पर प्रस्तुत की गईं। लोकगीत और भाव नृत्य में युवाओं के अलावा बच्चों की प्रस्तुतियों ने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। कवि विमलेश त्रिपाठी ने कहा कि हिंदी मेला नई प्रतिभाओं को सामने लाने का एक बड़ा मंच है जिसने देश भर के साहित्यकारों को आकर्षित किया। उमा दगमान ने कहा कि हमें गर्व है कि हिंदी मेला के रूप में इतना बड़ा आयोजन होता है। यह हिंदी भाषियों के आत्मसम्मान का प्रतीक है। डॉ सुमिता गुप्ता ने कहा कि हिंदी मेला की कोशिश हिंदी काव्य को संगीत और नृत्य से जोड़ने की है, ताकि उसकी लोकप्रियता बढ़े। साहित्य को कलाओं से जोड़ना जरूरी है।
पीयूष कांत राय ने कहा कि लोकगीत आम जनता के ह्दय का स्पंदन है जिसे बाजारू लोकगीत विकृत कर रहे हैं। हिंदी मेला इसे लेकर जागरूकता पैदा कर रहा है। डॉ राजेश मिश्र ने लोकगीत को स्वस्थ रूप देन की अपील की। काव्य संगीत प्रतियोगिता में शिखर सम्मान प्रीति साव, फास्ट ट्रैक ट्युटोरियल, प्रथम पुरस्कार संयुक्त रूप से आयुष पांडेय, ऑक्सफोर्ड हाई स्कूल और तृषांणिता बनिक, प्रेसीडेंसी वी.वी, द्वितीय अनीष पांडेय, मैथोडिस्ट स्कूल, तृतीय पुरस्कार रश्मि त्रिपाठी, सोहनलाल देवरालिया बालिका विद्यालय, विशेष पुरस्कार रितविक मित्रा मुस्ताफी, शिवांगी कुमारी, हरप्रसाद प्राइमरी स्कूल, मधु सिंह, विद्यासागर विश्वविद्यालय(मिदनापुर) को प्राप्त हुआ। पिछले दिन हुई काव्य आवृति प्रतियोगिता वर्ग क में शिखर सम्मान शुभ्रस्वपना मुखोपाध्याय, बेथुन कॉलेज, प्रथम पुरस्कार कीर्तिका सुरोलिया, द्वितीय रेशमी सेन शर्मा प्रेसीडेंसी विश्वविद्यालय, तृतीय अंकिता द्विदेदी, राजा नरेंद्र लाल खान महिला कॉलेज, विशेष पुरस्कार रुम्पा कुमारी साव, वर्दवान वि.वि, श्वेता तिवारी, सुनील दास, सेंट पॉल, आशीष यादव, कांचरापाड़ा कॉलेज, सलोनी शर्मा, विद्यासागर विश्वविद्यालय को मिला।
पाँचवां दिन – कवि सम्मेलन तथा पुस्तक लोकार्पण
24वें हिंदी मेले में कोलकाता के अलावा वर्दवान, उत्तर 24 परगना और हावड़ा के युवा कवियों ने अपनी कविता का पाठ किया। इनका साथ वरिष्ठ कवियों ने दिया। कवि सम्मेलन की परंपरा को समृद्ध करते हुए 50 कवियों ने अपनी रचनाओं का पाठ किया जिसका फोकस स्त्री आत्म सम्मान, भाईचारा और दुनिया में हिंसा से छाया भय विशेष रूप से था। इस अवसर पर विमलेश त्रिपाठी के नए कविता संकलन ‘यह मेरा दूसरा जन्म है’ का लोकार्पण हिंदी मेला में विशेष अतिथि के रुप में उपस्थित डॉ विजय बहादुर सिंह, अवधेश प्रधान और किशन कालजयी ने किया। जिन कवियों ने रचना पाठ किया उनमें काली प्रसाद जायसवाल, शैलेंद्र शांत,महेश जायसवाल, हीरालाल जायसवाल, विनोद प्रकाश गुप्ता, रेणु द्विवेदी, शैलेष गुप्ता, राजवर्धन, सेराज खान बातिश, सुषमा त्रिपाठी, रितेश पांडेय, विमलेश त्रिपाठी, संजय राय,आनंद गुप्ता, ममता पांडेय, अभिज्ञात, राजेश मिश्रा, रौनक आफरोज, नागेंद्र पंडित, शिव प्रकाश दास, पंकज सिंह, राहुल शर्मा, मधु सिंह, अनुप यादव, सूर्यदेव राय, रूपेश कुमार यादव, तृषाणिता बनिक, गुड़िया राय, मुकेश मंडल, बागी विकास, जितेंद्र जितांशु, राहुल गौड़, जितेंद्र सिंह, अनिला राखेचा, शैलेंद्र सिंह, नीति सिंह, सुरेश शॉ, रंजित सिन्हा, अभिषेक महत्तो, पार्वती शॉ, शहजादी खातून, अजय सिंह, सौरभ झा, रामकेश सिंह, प्रियंका गोप आदि कवि शामिल थे।
हिंदी मेले के पांचवें दिन ‘गांधी प्रासंगिक है’ विषय पर वाद-विवाद और आशु भाषण प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। जिसमें विभिन्न शिक्षण संस्थाओं के कुल 44 प्रतिभागियों ने भाग लिया। बतौर निर्णायक डॉ विवेक सिंह ने कहा कि वाद-विवाद प्रतियोगिता के जरिए हिंदी मेला के इस मंच ने विद्यार्थियों के बीच गांधी को विमर्श का विषय बनाया। डॉ प्रीति सिंघी ने कहा कि आशु भाषण विद्यार्थियों के बौद्धिक क्षमता को बढ़ाता है। वाद विवाद प्रतियोगिता वर्ग अ में शिखर सम्मान अद्रिजा पाल, केंद्रीय विद्यालय(आईआईटी खड़गपुर), प्रथम स्थान शेख साहिल, आदर्श हिंदी हाई स्कूल, द्वितीय स्थान पर संयुक्त रूप से पूर्णिमा सिंह, नारायणा स्कूल और अंकित कुमार, आदर्श हिंदी हाई स्कूल, तृतीय प्राची सिंह, सोहनलाल देवरालिया बालिका विद्यालय, प्रमोद तिवारी, सेंट ल्यूक्स को मिला। वर्ग क का शिखर सम्मान प्रिया शर्मा, विद्यासागर कॉलेज, प्रथम स्थान राजेश सिंह, कलकत्ता विश्वविद्यालय, द्वितीय मनीष गुप्ता, प्रेसीडेंसी विश्वविद्यालय, महेश कुमार, दक्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय, शेख एजाज अहमद, खिदिरपुर कॉलेज को प्राप्त हुआ। इस अवसर पर राजेंद्र केडिया, महेश लोधा, नरेंद्र जी धानुका ने गांधी 150 संस्था के तहत प्रतिभागियों को प्रोत्साहित किया। पिछले दिन हई लोकगीत एकल प्रतियोगिता में शिखर सम्मान आयुष पांडेय, प्रथम राजेश सिंह, कलकत्ता वि.वि, प्रीति साव, फॉस्ट ट्रैक, द्वितीय अदिती दुबे, हावड़ा नवज्योति, तृतीय नैना प्रसाद, विशेष पुरस्कार पूजा सिंह, सूर्यदेव राय को मिला। लोकगीत दल प्रतियोगिता का शिखर सम्मान हावड़ा नवज्योति दल, प्रथम सपना कुमारी एवं दल, द्वितीय प्रीति साव एवं दल, खुदीराम बोस सेंट्रल कॉलेज को मिला। भाव नृत्य एकल प्रतियोगिता का शिखर सम्मान अभिस्मिता दास गुप्ता, प्रथम मनीषा चक्रवर्ती, द्वितीय रश्मि वर्मा, तृतीय पूर्णिमा हल्दार को मिला। भाव नृत्य समूह प्रतियोगिता का शिखर सम्मान ज्योति गिरी एवं दल , प्रथम तिथि दास, द्वितीय डफोडिल हाई स्कूल, तृतीय सोहनलाल देवरालिया, चतुर्थ अदिति दूबे एवं दल, पंचम कोमला झा एवं दल को मिला
छठां दिन – संगोष्ठी में दिया गया गाँधी की विरासत को सहेजने का सन्देश
सांस्कृतिक पुनर्निर्माण मिशन द्वारा आयोजित 24वें हिंदी मेला के राष्ट्रीय परिसंवाद के अवसर पर कहा गया कि गांधी वर्तमान भय और हिंसा के माहौल में सबसे अधिक प्रासंगिक हैं। गांधावादी चिंतक आत्माराम सरावगी ने कहा कि आज गांधी के बिना उनका भी काम नहीं चल रहा है जो गांधी के विरोधी हैं। गांधी को कई बार मारने की कोशिश हुई लेकिन दुनिया में गांधी पर रोज चिंतन चल रहा है। कलकत्ता विश्वविद्यालय के डॉ आशुतोष जी ने कहा कि आज के भारत में नई मशीनें और कृत्रिम मेधा आने से बेरोजगारी बढ़ रही है, ऐसे में साधारण लोगों में आत्मनिर्भरता कैसे आएगी जो गांधी का स्वप्न था। आज बाजार में सबसे ज्यादा किसानों की हालत खराब है। प्रेसीडेंसी विश्वविद्यालय के प्रो. वेदरमण ने कहा कि गांधी का व्यक्तित्व भीतर और बाहर से एक था, उनका दोहरा व्यक्तित्व नहीं है। गांधी का संदेश है कि यह अकेले रहने का युग नहीं है। भागलपुर विश्विद्यालय के डॉ किशन कालजयी ने कहा कि आजादी के पहले से 21वीं सदी में गैर-बराबरी बढ़ी है। गांधी अंतिम जन तक राष्ट्र की शक्ति पहुंचाने के बारे में कहते थे।
पहले सत्र का अध्यक्षीय भाषण रखते हुए बनारस हिंदु विश्वविद्यालय के प्रो. अवधेश प्रधान ने कहा कि गांधी जो परंपरागत राजनीतिज्ञों और अंग्रेजी सत्ता के लिए बड़े असुविधाजनक थे। उन्होंने विचार की नई जमीन तोड़ी और सत्य तथा अहिंसा का प्रचार किया उन्होंने जमीनी सच को राष्ट्रीय सच बनाया। उन्होंने हिंदी को देश को जोड़ने वाली भाषा घोषित किया। गांधी पर परिसंवाद के दूसरे सत्र में डॉ गीता दूबे ने कहा कि गांधी को जानने के लिए गांधी की राह से गुजरते हुए उनके पूरे जीवन को जानना होगा। केरल केंद्रीय विश्वविद्यालय के राम विनोद रे ने कहा कि गांधी ने खादी और हिंदी के जरिए भारत को जोड़ने का काम किया। गांधीवादी चिंतक डॉ शंकर सान्याल ने कहा कि गांधी शांति और अंहिसा के पुजारी हैं। उनके बिना भारत की कल्पना नहीं की जा सकती। रांची विश्वविद्यालय के प्रो. अरुण कुमार ने कहा कि ज्ञान का वर्गीकरण घातक होता है। उन्होंने गांधी को आमजन का प्रतिनिधि बताया। डॉ शंभुनाथ ने कहा कि गांधी के आदर्शों से वर्तमान यथार्थ की दूरी काफी बढ़ गई है। गांधी ने बड़ा काम यह किया कि उन्होंने लोगों के मन से भय दूर कर आत्मविश्वास पैदा किया। गांधी देश में निर्भीकता की आवाज हैं। इस मौके पर श्री राम निवास द्विवेदी ने हिंदी मेला से जुड़े वरिष्ठ सदस्यों का शॉल ओढ़ा कर सम्मान किया। कार्यक्रम का सफल संचालन संजय राय, राहुल शर्मा, अंजली सिंह, रजनीश कुमार मिश्र, राहुल गौड़, अनिल गौड़ ने किया। धन्यवाद ज्ञापन मिशन के संयुक्त महासचिव प्रो. संजय कुमार जायसवाल ने किया।
सातवाँ दिन – युवा शिखर सम्मान के साथ नाट्य व पत्रकारिता सम्मान
सात दिवसीय हिंदी मेले का समापन साहित्य उत्सव के साथ नए साल का अभिनंदन करते हुए हुआ। युवाओं और बच्चों ने श्रेष्ठ कविताओं का गायन, आवृत्ति, और उन पर आधारित नृत्य प्रस्तुत किए जिन्हें काफी सराहा गया। स्त्री उत्पीड़न का विरोध अधिकांश नृत्यों का केंद्रीय विषय था।
लगभग 200 प्रतिभागियों को उपहार, नगद सम्मान राशि और स्मृति चिह्न प्रदान किए गए। माधव शुक्ल नाट्य सम्मान से पुरस्कृत कल्पना ठाकुर ने कहा कि पिछले 24 सालों से हिंदी मेला से नई कला प्रतिभाएं सामने आ रही हैं। उन्होंने कहा कि साहित्य और कलाएं हमारी सांसें हैं और इनके बिना जीवन में सच्चा आनंद संभव नहीं है।
हिंदी मेले में युगल किशोर सुकुल पत्रकारिता सम्मान से नवाजी गई मनोज्ञा लोइवाल ने कहा कि युवाओं में सबसे ज्यादा जरूरी यह आत्मविश्वास पैदा करना है कि उन्हें पत्रकारिता, कला और साहित्य के क्षेत्र में अपना सर्वश्रेष्ठ देना है। इसके लिए बाधाओं और बंधनों से जूझना होगा। डॉ शंभुनाथ, प्रो. इतु सिंह, प्रो. विभा कुमारी, श्री राम निवास द्विवेदी, डॉ अवधेश प्रसाद सिंह, प्रियंकर पालीवाल, दिनेश साव, रामाशंकर सिंह, महेश जायसवाल और जितेंद्र सिंह के हाथों से पुरस्कार प्रदान किए गए। कार्यक्रम का सफल संचालन डॉ राजेश मिश्र, डॉ सुमिता गुप्ता, पीयूष कांत राय, नवोनिता दास, प्रो. मंटू कुमार, पूजा गुप्ता, पंकज सिंह, मिथिलेश साव, सुशील पांडेय और दिव्या प्रसाद ने किया। धन्याद ज्ञापन डॉ अनिता राय ने किया।