नयी दिल्ली : क्या आप जानते हैं कि 15 अगस्त, 1947 को लाल किले पर ध्वज फहराए जाने की एेतिहासिक फोटो किस महिला पत्रकार ने अपने कैमरे में कैद किया। 21वीं सदी में भले ही एक महिला फोटोग्राफर का होना बहुत सहज लगे, लेकिन उस वक्त यह बड़ी बात थी। घटनास्थल पर एक महिला के हाथों में कैमरा लोगों के लिए अचरज का विषय था। जाहिर है कि उस दौर में एक महिला फ़ोटो पत्रकार होना उनके लिए कतई आसान नहीं रहा होगा। आज हम आपको उस महिला फोटो ग्राफर के बारे में बताएंगे, जिसने सामाजिक दायरे को लांघते हुए यह कारनामा कर दिखाया।
इस मशहूर फ़ोटो-पत्रकार का नाम था होमी व्यारवाला। उन्हें भारत की पहली महिला फ़ोटो-पत्रकार होने का श्रेय प्राप्त है। होमी भारत के ब्रिटिश शासन से लेकर आजाद होने की अविध के दौरान देश में बदलाव के दौर की तस्वीरें खींचने के लिए जाना जाता है। आम तौर पर पुरुष प्रधान माने जाने वाले इस पेशे में उन्होंने अपनी एक अलग छाप छोड़ी।
आधुनिक भारत के इतिहास में होमी ने कुछ यादगार और दुर्लभ तस्वीरें अपने कैमरे में कैद की। होमी ने आजाद भारत के बाद तिरंगा फहराने की तस्वीर अपने कैमरे में कैद किया। इसके अलावा महात्मा गांधी की हत्या की दुर्लभ तस्वीरें खींचीं थीं। देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की तोते को रिहा करने वाली उनकी तस्वीर बहुत चर्चित रही। देश के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, नेहरू और लाल बहादुर शास्त्री के अंतिम संस्कार की दुर्लभ फोटो भी उन्होंने अपने कैमरे में कैद किया। ब्रिटेन की महरानी एलिजाबेथ और अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति आइजनहावर जब भारत आए तो उन्होंने उनकी यादगार तस्वीरें भी खींचीं।
दिल्ली आने के बाद होमी ने साइकिल से पूरी दिल्ली की परिक्रमा किया था। वह दिल्ली के एक छोर से दूसरे छोर तक साइकिल से गईं थी। दरअसल, ब्रिटिश सूचना सेवा में चयन के बाद होमी मुंबई से दिल्ली पहुंची। उन्होंने दिल्ली में लंबा वक्त बिताया। दिल्ली आने पर होमी ने पूरी दिल्ली को समझने के लिए साइकिल से इसका भ्रमण किया।
भारत की पहली महिला फोटो पत्रकार पर गूगल की भी नजर पड़ी। गूगल ने उनके इस योगदान के लिए होमी की 10वीं जयंती पर उनका डुडल बनाकर उन्हें सम्मानित किया। गूगल के इस सम्मान के बाद पूरी दुनिया की नजर होमी पर गई थी। इसके बाद वह सुर्खियों में आईं।
होमी ने बताया बेहतरीन फोटो खींचने का हुनर
होमी ने एक अच्छे फोटोग्राफर बनने और एक अच्छी फोटो खींचने का हुनर भी बताया था। उनकी स्पष्ट मान्यता थी कि एक बेहतरीन फोटो के लिए एक बेहतरीन कैमरे के साथ-साथ कंपोजिशन का सही समय और कोण बेहद जरूरी है। उन्होंने कहा कि जिसे इसकी समझ है, वही बेहतरीन फोटो पत्रकार है। एक अंग्रेजी अखबार को दिए एक साक्षात्कार में होमी ने ये बातें कहीं थीं। अपने इस साक्षात्कार में उन्होंने कहा था एक ही समय पर कई लोग एक चीज की तस्वीर खींच रहे होते हैं और सबकी अपनी शैली और अंदाज होता है। लेकिन कोई एक ही होता है, जो सही कोण से तस्वीर खींच पाता है।
दसवीं की परीक्षा पास करने वाली अकेली छात्रा
होमी का जन्म 9 दिसंबर, 1913 को गुजरात के नवसारी में हुआ था। बेटी की बेहतर शिक्षा दिलाने के मकसद से होमी के परिजन मुंंबई आ गए। मुंबई के एक बेहतरीन स्कूल में होमी का दाखिला कराया। अपने स्कूल में दसवीं की परीक्षा पास करने वाली वह अकेली छात्रा थीं। इस स्कूल में कुल 36 छात्र थे। होमी जेजे स्कूल अाफ आर्ट्स और मुंबई के सेंट जेवियर कालेज से पढ़ाई पूरी की। फोटोग्राफी की दुनिया से उनकी पहचान टाइम्स आफ इंडिया में फोटोग्राफर उनके पति मानेकशा व्यारवाला ने कराई।
(साभार – दैनिक जागरण)