7 जनवरी को कोलकाता में होगी ‘भैरव से भैरवी तक’ की संगीतमय यात्रा

कोलकाता : आतंकवाद, सामाजिक भेदभाव, हिंसा आदि नकारात्मक तत्वों का सही जवाब भारतीय संगीत है, जो व्यक्ति को आपाधापी भरे जीवन में थोड़ा रुक कर आत्मशोध का अवसर देता है। ‘भैरव से भैरवी तक’ हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत की परंपराओं को विकसित करने के लिए है। इसकी शुरुआत कला की समृद्ध भूमि बनारस से 18 नवंबर 2017 से हुई है जो अहमदाबाद और कोलकाता से होते हुए ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका और यूरोपीय देशों तक जारी रहेगी। यह बात शास्त्रीय संगीत के यशस्वी कलाकार पं.राजन मिश्र ने भारतीय भाषा परिषद में आयोजित एक प्रेस संवाद में कही। उन्होंने नई पीढ़ी में शास्त्रीय संगीत के प्रति रुचि पैदा करने के लिए सरकार से आहवान किया कि कक्षा छह तक संगीत की शिक्षा अनिवार्य की जानी चाहिए ताकि छोटी उम्र से ही विद्यार्थियों में संगीत प्रेम पैदा हो और वे सकारात्मक हों। पं.राजन मिश्र ने इस पर अफसोस जाहिर किया कि संगीत का सांस्कृतिक मूल्यों के रक्षण के लिए उपयोग करना चाहिए जबकि इसके लिए दूरवर्ती योजना नहीं बनाई जाती।

प्रसिद्ध तबलावादक पंडित कुमार बोस पंडित राजन-साजन मिश्र के संगीत दल के मुख्य अंग हैं। उन्होंने कहा कि बंगाल संगीत कला का एक मुख्य केंद्र है। आगामी 7 जनवरी को ठाकुरबाड़ी जोड़ासांको में ‘भैरव से भैरवी तक’ का भव्य आयोजन होने जा रहा है जो संगीत के माध्यम से भारतीय संस्कृति और मानवीय मूल्यों की रक्षा का भी एक उपक्रम है। इस अभियान की मुख्य संयोजक सलोनी गांधी ने विश्‍व में भारतीय संगीत का अलख नए सिरे से जगाने के लिए नई पीढ़ी का आहवान किया और कहा कि इस अभियान का उद्देश्य शास्त्रीय संगीत को आम लोगों तक पहुँचाना है। भारतीय भाषा परिषद के निदेशक डॉ.शंभुनाथ के एक प्रस्ताव के उत्तर में पं.राजन मिश्र ने कहा कि हिंदी कवि जयशंकर प्रसाद के कई गीत विभिन्न रागों में गाये गए हैं। यदि प्रायोजक सामने आएँ तो ऐसे कवियों की रचनाओं को लोकप्रिय बनाने के लिए उन्हें संगीतबद्ध किया जा सकता है। इस कार्यक्रम की संयोजिका और जोगेशचंद्र चौधरी कॉलेज की विभागाध्यक्ष ममता त्रिवेदी ने सभी का स्वागत करते हुए छात्रों और युवाओं का फिल्मी गीतों की दुनिया से बाहर आकर अच्छे संगीत से जुड़ने का आहवान किया।

 

 

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