रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया इस बात को लेकर माथापच्ची में लगा है कि हजारों टन पुराने नोटों को कैसे ठिकाने लगाया जाए। इस काम को लेकर कई तरह के प्रस्ताव आ रहे हैं और इस काम को अंजाम देने के लिए ठेकेदारों की तलाश भी शुरू हो गई है। जानकारों का कहना है कि आरबीआई को इस बारे में कई रोचक विकल्प मिले हैं। इनमें बारीक टुकड़े कर नोटों की सड़कें बनाना, उनसे ईंटें बनाना और नोटों से गड्ढे भरना, पुराने नोटों से स्मारक बनाना और उनकी मदद से कपड़ा बनाकर उसे स्मारक के तौर पर बेचने के विकल्प शामिल हैं। सूत्रों का कहना है कि इन नोटों के अलावा आरबीआई के पास पहले से पड़े करोड़ों लोगों द्वारा लौटाए जाने वाले पुराने नोटों को नष्ट करने का जिम्मा है।
कई ट्रक नोट
आरबीआई के एक अधिकारी ने बताया कि भारत के केंद्रीय बैंक के पास कई ट्रक ऐसे नोट हैं। इन नोटों के ऐसे टुकड़े किए जाएंगे कि इन्हें दोबारा जोड़ा न जा सके। उसके बाद इन्हें तपा कर ईंट की शक्ल में बदल दिया जाएगा। उसके बाद इन्हें गड्ढे भरने वाले ठेकेदारों को दे दिया जाएगा। मार्च 2016 तक 500 के करीब 1570 करोड़ नोट प्रचलन में थे। वहीं 1000 के करीब 632 करोड़ नोटों का इस्तेमाल हो रहा था।
कुछ जगहों पर जलाया भी जाता है
दुनिया में प्रचलन से बाहर कर दिए गए नोटों को नष्ट करने के लिए अलग-अलग तरीके अपनाए जाते हैं। कुछ जगहों पर जलाया भी जाता है। बैंक ऑफ इंग्लैंड 1990 तक ऐसे नोटों को जलाकर बैंक की इमारत को गर्म रखने का काम लेता था। 2000 के दशक की शुरुआत में बैंक ने पुराने नोटों को रिसाइकिल करना शुरू कर दिया। रिसाइकलिंग में नोटों को जमीन के नीचे दबाकर सड़ाया जाता है और बाद में इसका इस्तेमाल खाद के तौर पर किया जाता है।