मौत का सामना करा देने वाली दुर्घटनाओं से गुजरना हमेशा ही एक बुरे सपने की तरह होता है। विनय कुमार, एक पूर्व नेवी ऑफिसर ने भी ऐसी ही एक दुर्घटना का सामना किया लेकिन, उन्होंने हार नहीं मानी और अपने इसी शानदार जज्बे के चलते अब वो वापसी को तैयार है।
विनय कुमार मूल रूप से कटक, उड़ीसा के रहने वाले हैं, उन्होंने भारत के विभिन्न राज्यों व पहाड़ी श्रृंखलाओं में अपनी मोटरसाइकिल से भ्रमण किया है। उन्होंने भारतीय नेवी में अपनी सेवाएँ दी है, साथ ही वे एक पेशेवर बाइकर भी है, जिनके पास पूरे भारत में मोटरसाइकिल भ्रमण का परमिट भी है, पर एक दुर्घटना से उनकी जिन्दगी में सब कुछ बदल गया।
विनय कुमार महाराष्ट्र के पहाड़ी इलाके में चार मोटरसाइकिलिस्ट्स के समूह की अगुवाई कर रहे थे। मौसम सुहाना था, बिनय और उनके साथी इस अनुभव का आनंद ले रहे थे। तभी अचानक कुछ अप्रत्याशित हुआ। एक बस तेज़ गति से उनकी तरफ आ रही थी। पहाड़ी इलाकों में सँकरे रास्ते होने की वजह से विनय ज्यादा कुछ नहीं कर सकते थे। शायद बस चालक उन्हे देख नहीं पाया था। बचाने के प्रयास में बिनय व साथी सड़क के कोने की तरफ भी गए लेकिन बस चालक ने तेज़ी से उनकी तरफ बढ़ते हुए, विनय को टक्कर मार दी।
उनके सिर में भारी चोट लगी थी। हालांकि उन्होंने 48 घंटे के अस्पताल के सफर में पूरी तरह से होश नहीं खोया था, उन्हे याद है उनके दोस्त ने एम्ब्युलेन्स बुलाई थी, फिर एक चिकित्सा-कर्मी से मदद लेकर उन्हे अस्पताल में भर्ती कराया था। उनके साथियों ने उनके माता-पिता को सूचना भी दे दी जो बाद में अस्पताल पहुँच गए थे। दुर्घटना के बाद के कुछ महीने बिनय कुमार के जीवन का सबसे मुश्किल समय था, पर इसी दौरान उनके जीवन में कुछ बहुत अर्थपूर्ण घटा।
सर्जरी और कई बार चिकित्सकों को दिखाने के बाद भी दुर्घटना के दो महीने बाद तक बिनय व्हीलचेयर तक ही सीमित थे। उनकी चार सर्जरी हुई थी जिसमे उनके घुटनो में 7 स्क्रू डाले गए थे और हाथ में तो प्लेट्स लगाई गईं थी। उनके पैर में कई फ्रेक्चर्स हुए थे व कई लिगामेंट्स को क्षति पहुँचने की वजह से इस पूरी प्रक्रिया में उन्हें तकरीबन 500 टाँके लगे थे। कुछ सप्ताह तक वे खाना भी नहीं निगल सकते थे। दर्द इतना ज्यादा था कि वे सो नहीं पाते थे और जागने पर भी उन्हें असहनीय दर्द का सामना करना पड़ता था। इसके चलते वे अंदर से टूटने लगे थे। उनके माता-पिता भी इस बात से बहुत परेशान थे कि शायद उनका बच्चा अब कभी अपने पैरों पर हमेशा की तरह चल नहीं पाएगा।
विनय कुमार थे तो मजबूत इरादों वाले, उन्हें यह पता था कि अगर वे कमजोर हुए तो उनके माता-पिता जो पहले ही काफी परेशान थे, अपना हौसला खो देंगे। उन्होंने इस कठिन परिस्थिति में भी अपने आप को मुस्कुराने के लिए मनाया व अपने माता-पिता को हौसला बँधाया कि वे ठीक हैं। उन्होंने अपने माता-पिता को यह अहसास दिलाया कि यह दुर्घटना जीवन का एक समय है जो गुज़र जाएगा।
विनय एक घटना को याद करते हुए बताते हैं, जब उनकी माँ की आँखों में आँसू थे और उन्होने पूछा, “यह सिर्फ तुम्हारे साथ ही क्यों हुआ, जबकि बाहर संसार में इतने लोग मोटरसाइकिल चला रहे हैं? तुम ही क्यों?”
उनके पास इसका कोई जवाब नहीं था, पर उन्होंने अपने आप को संभालते हुए जवाब दिया, “क्योंकि शायद सिर्फ मुझ में ही इतनी हिम्मत है कि मैं यह सब झेल सकता हूँ।”
समय के साथ उनके घाव भरने लगे, दर्द भी धीरे-धीरे कम होने लगा। उनके दोस्त व परिवार के सदस्य इस घड़ी में हमेशा उनके साथ खड़े रहे। इतने बड़े हादसे से गुजरने के बाद आज बिनय के पास हम सब के लिए एक संदेश है, “हमारा जीवन क्षणभंगुर है, यहाँ कभी भी ,कुछ भी घटित हो सकता है, मृत्यु कभी भी आ सकती है बिना कोई चेतावनी दिए। हमे हर मिलने वाले क्षण की महत्ता समझनी चाहिए। जो समय आप अपनों के साथ बिता रहे है वो समय मूल्यवान है।”
आज विनय हादसे से काफी हद तक उबर चूकें है और आज विलहेमसन शिप मेनेजमेंट में नेविगेशन ऑफिसर है। वे पूरी तरह से स्वस्थ होने कि लिए रोजाना व्यायाम करते हैं, पूरी तरह से स्वस्थ होने पर वे दुबारा नेवी से जुड़ने करने का इरादा रखते हैं।
विनय सच में एक प्रेरणा है, एक घातक दुर्घटना से वापसी कर और मजबूत बनने का उदाहरण। उनकी इस स्थिति के बाद भी उनके वापस नेवी में अपनी सेवाएँ देनी की इच्छा यह साबित करती है कि हार कर बैठ जाना किसी समस्या का हल नहीं होता।
(साभार – द बेटर इंडिया)