गुम्बद का निर्माण 1300 साल पहले हुआ था, जबकि माँ का प्राकट्य दो हजार साल पहले का है
नवरात्र में दाधीच समाज के लोग यहां बच्चों का रिश्ता तय करने आते हैं, अष्टमी को मेला लगता है
राजस्थान के नागौर जिले में गोठ और मांगलोद गांव के बीच दाधीच ब्राह्मणों की कुलदेवी दधिमती माता का 2000 साल पुराना मंदिर है। दावा है, उत्तर भारत का यह सबसे प्राचीन मंदिर है। इसका निर्माण गुप्त संवत 289 को हुआ था। इसकी विशेषता यह है कि मंदिर के गुंबद पर हाथ से पूरी रामायण उकेरी गई है। गुम्बद का निर्माण 1300 साल पहले हुआ था, जबकि मान्यता है कि मां का प्राकट्य दो हजार साल पहले हुआ था। यहां दाधीच समाज के लोग बच्चों के रिश्ते की बात पहले तय कर लेते हैं और नवरात्र में बच्चों को आपस में दिखाकर मां के समक्ष ही रिश्ता पक्का करते हैं। अष्टमी को यहां मेले का आयोजन होता है, जिसमें देशभर से लोग आते हैं।
यहाँ राजा मान्धाता ने यज्ञ किया था
किवदंती है कि यहां अयोध्या के राजा मान्धाता ने यज्ञ किया था। इसके लिए चार हवन कुंड बनाए गए थे। राजा ने आह्वान करके चारों कुंडों में चार नदियों गंगा, यमुना, सरस्वती और नर्मदा का जल उत्पन्न किया था। इन कुडों के पानी का स्वाद अलग-अलग है।
दधिमती माता ऋषि दधीचि की बहन
पुराणों के अनुसार, दधिमती माता ऋषि दधीचि की बहन हैं। इन्हें लक्ष्मी का अवतार भी माना जाता है। इस मंदिर को लेकर एक और मान्यता है कि कलयुग के बढ़ते प्रभाव से मंदिर का मुख्य स्तंभ सतह से चिपकता जा रहा है। मां दधिमती का जन्म माघ शुक्लपक्ष की सप्तमी यानी रथ सप्तमी को हुआ था। मां दधिमती ने दैत्य विताकासुर का वध भी किया था।
एक हजार से अधिक श्रद्धालु दुर्गा सप्तशती पाठ करते हैं
पंडित विष्णु शास्त्री बताते हैं कि नवरात्र में रोज एक हजार से अधिक श्रद्धालु दुर्गा सप्तशती का पाठ करते हैं। उनके रहने के लिए मंदिर में ही व्यवस्था की जाती है। परिसर में करीब 250 कमरे बनाए गए, जहां बाहर से आए श्रद्धालुओं के ठहरने की व्यवस्था की जाती है।
औरंगजेब ने किया था हमला, मधुमक्खियों ने किया नाकाम
मंदिर कमेटी से जुड़े रिटायर्ड जिला जज संपतराज शर्मा ने बताया कि ‘मुगल काल में औरंगजेब ने मंदिर पर हमला किया था। तब यहाँ गुम्बद पर मौजूद मधुमक्खियों ने औरंगजेब की सेना पर हमला बोल दिया था, जिससे सैनिक वापस भाग गए।
(साभार – दैनिक भास्कर)