लड़ाई के मैदान में बारूदी सुरंग का पता लगाने वाले ड्रोन को तैयार करने के लिए गुजरात सरकार की ओर से पांच करोड़ रुपए की मदद दी जाएगी। इस ड्रोन को विकसित करने वाले 14 साल के हर्षवर्धन जाला के साथ गुजरात काउंसिल ऑन साइंस एंड टेक्नोलॉजी ने यह डील साइन की है।
अहमदाबाद में हुए वाइब्रेंट गुजरात समिट में इस प्रस्ताव को लेकर मेमोरेंडम ऑफ़ अंडरस्टैंडिंग (एमओयू) पर साइन किया गया है गुजरात के रहने वाले हर्षवर्धन जाला दसवीं क्लास के छात्र हैं। उन्हें इस ड्रोन को बनाने का आइडिया टीवी में आने वाली ख़बर को देखकर आया।
उन्होंने बीबीसी को बताया, “मैंने जब टीवी पर फ़ौज के लोगों को बारूदी सुरंग के कारण मरते हुए देखा तो पहली बार मेरे दिमाग़ में इस तरह के ड्रोन का आइडिया आया।”
उन्होंने कहा, ”मैंने इसके बाद इस पर रिसर्च किया। अभी जो माइन डिटेक्टर बारूदी सुरंग को जांचने के लिए इस्तेमाल किया जाता था वो सुरक्षित नहीं है और न ही वह सही तरीके से काम करता है।.”
हर्षवर्धन का दावा है कि उन्होंने ड्रोन बनाने में जिस तकनीक का इस्तेमाल किया है वो उनकी ख़ुद की बनाई हुई है।
हर्षवर्धन बताते हैं, “मेरी छह कोशिशें नाकाम रही हैं और सातवीं बार में कामयाबी मिली। पिछले साल फ़रवरी-मार्च में इसे बनाने में मुझे कामयाबी मिली है, लेकिन इस साल अप्रैल-मई तक पूरी तरह से विकसित किया जाएगा. इसमें अभी हम और भी ख़ूबियां डालने वाले हैं।”
हर्षवर्धन के पिता एक अकाउटेंट हैं और उन्होंने अपनी कंपनी एयरोबैटिक्स-7 शुरू की है। ऐसे ही और गैजेट्स बनाने की उनकी कंपनी की योजना है।
गुजरात काउंसिल ऑन साइंस एंड टेक्नोलॉजी के प्रमुख नरोत्तम साहू ने बताया, “डेमो देखने के बाद हमें हर्षवर्धन के प्रस्ताव में संभावनाएं नज़र आई हैं इसलिए हमने उनकी योजना पर काम करने का फ़ैसला लिया है। उनका यह ड्रोन 100 मीटर के दायरे में 50 फ़ुट की ऊंचाई से बारूदी सुरंग का पता लगाने में सक्षम होगा। ”
हर्षवर्धन ने बताया कि सरकार ने फ़ाइनल प्रारूप को बनाने में भी उन्हें तीन लाख की मदद दी थी।