देश में खेलों को लोकप्रिय करने में भाषा की बहुत बड़ी भूमिका है। भारत में 70 फीसदी जनसंख्या हिन्दी बोलती और पढ़ती है। लिहाजा देश में अगर किसी खेल की टीआरपी बढ़ानी है तो चैनलों को हिन्दी का सहारा लेना ही पड़ेगा। हिंदी बाहुल्य जनसंख्या को देखते हुए देश में टीआरपी के लिए कई चैनल आज हिन्दी में विशेष कमेंट्री कर रहे हैं। विदेश के चैनल देश में शीर्ष बने रहने के लिए हिन्दी को आगे कर रहे हैं। यही हमारी हिंदी के महत्व को जगजाहिर कर रहा है। स्टार नेटवर्क ने हिन्दी में कमेंट्री को बढ़ावा दिया है। कुछ साल पहले लोकप्रिय स्पोर्ट्स चैनल ईएसपीएन में हिन्दी की कमेंट्री क्रिकेट की लोकप्रियता में इजाफा कर चुकी है। क्रिकेट के अलावा अन्य खेलों को भी हिन्दी के जरिए लोकप्रिय किया जा रहा है। स्टार स्पोर्ट्स में प्रो कबड्डी लीग की कमेंट्री हिन्दी में हो रही है। कबड्डी खेल को समझने में हिन्दी सहायक हो रही है। इससे कबड्डी की लोकप्रियता काफी बढ़ रही है। स्टार नेटवर्क ने देश का पहला फ्री टू एयर प्राइवेट स्पोर्ट्स चैनल लांच किया है। जिसमें हिन्दी कमेंट्री को तरजीह दी गई है।
प्रो कबड्डी लीग के अलावा बीसीसीआई के घरेलू क्रिकेट और घरेलू फुटबॉल लीग के मैच भी हिन्दी कमेंट्री के साथ प्रसारित होंगे। स्टार नेटवर्क के अलावा सोनी टीवी, टेन स्पोर्ट्स में भी हिन्दी की कमेंट्री की जा रही है। बीसीसीआई के प्रसिद्ध कमेंटेटर जब आपको स्टार स्पोर्ट्स में हिन्दी में मैच की लाइव कमेंट्री करते हैं तो यह काफी रोचक होता है। हमेशा अंग्रेजी में वार्तालाप करने वाले महान सुनील गावस्कर जब क्रिकेट की बारीकी को हिन्दी में बयां करते हैं तो यह अपने आप में रोमांचक होता है।
गुजरे जमाने के विस्फोटक ओपनर वीरेंद्र सहवाग कहते हैं कि जो जजबात हिन्दी में है वह किसी भाषा में नहीं, सहवाग का यह कहना पूरी तरह सही है। जब खिलाड़ी के कमाल को हिन्दी भाषा में पूरे भाव और जजबात के साथ व्यक्त किया जाता है तो वह खेल और खिलाड़ी के रोमांच को निश्वित रूप से दुगुना कर देता है। क्रिकेट को केवल गावस्कर, कपिल और सचिन ने ही आकर्षक नहीं बनाया बल्कि वह हिन्दी के कमेंटेटरों से भी आकर्षक और लोकप्रिय खेल बना है।
देश में हिन्दी की कमेंट्री को संजय बनर्जी और सुशील दोषी, रवि चतुर्वेदी ने एक हद तक नया आयाम दिया है। दोषी की कमेंट्री से लाखों करोड़ों लोग दशकों तक अभिभूत रहे। उनकी क्रिकेट कमेंट्री दर्शकों को रोमांचित करती थी। मनीष देव, मुरली मनोहर मंजुल, सुरैश सरैया, अनंत सितलवाड़ ने भी हिंदी में क्रिकेट का आंखों देखा हाल सुनाया। पर दोषी की कमेंट्री लाजवाब रही है। सुशील दोषी जैसे कमेंटटर ने कमेंट्री के लिए नए शब्द दिए, मुहावरे तलाशे।
रेडियो पर तो अच्छे कमेंट्रेटर रहे लेकिन टीवी पर कमेंट्री के लिए अब रिटायर्ड क्रिकटेर आगे आ गए हैं। अगर टीवी पर क्रिकेट को सुने देखें तो सुनील गावस्कर, वसीम अकरम बहुत अच्छी कमेंट्री करते रहे हैं। एक दम सधी हुई और संतुलित। कपिल देव, मोहम्मद कैफ, आकाश चोपड़ा, वीरेंद्र सहवाग, नवजोत सिद्धू भी बेहतर कमेंट्री कर लेते हैं। सुनील गावस्कर अंग्रेजी-हिंदी दोनों में बढ़िया कमेंट्री करते हैं। कई क्रिकेटरों के खेल से अलग होने के बाद कमेंट्रेटर बन जाने से टीवी में सुशील दोषी, मुरली मनोहर मंजुल, रवि चतुर्वेदी जैसे हिन्दी कमेंट्रेटरों को जगह नहीं मिल पाई।