हिन्दी कहानी जगत के चार में से दूसरे यार दूधनाथ सिंह का निधन

हिन्दी कहानी जगत ‘‘चार यार’’ के नाम से मशहूर लेखकों में शामिल वरिष्ठ साहित्यकार दूधनाथ सिंह का निधन हो गया। वह 81 वर्ष के थे।

पारिवारिक सूत्रों ने बताया कि दूधनाथ सिंह पिछले कुछ समय से बीमार थे। वह प्रोस्टेट कैंसर से ग्रस्त थे। उनका निधन इलाहबाद के एक निजी अस्पताल में हुआ। उनका अंतिम संस्कार आज इलाहाबाद में हुआ था। सिंह का जन्म 17 अक्टूबर 1936 को उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के सोबंथा में हुआ। उन्होंने उपन्यास, कहानी, नाटक, संस्मरण, कविता, आलोचना, संपादन आदि विधाओं में अपना रचनाकर्म किया।

हिन्दी कहानी में दूधनाथ सिंह ‘चार यार’ में शामिल थे। इसके अन्य तीन कहानीकार रवीन्द्र कालिया, ज्ञानरंजन और काशीनाथ सिंह हैं। कालिया का भी निधन हो चुका है।

दूधनाथ सिंह ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से एमए किया और यहीं वह हिंदी के अध्यापक नियुक्त हुए। 1994 में सेवानिवृत्ति के बाद से लेखन और संगठन में निरंतर सक्रिय रहे। उनका अंतिम उपन्यास ‘आखिरी कलाम’ काफी चर्चित रहा। उनके अन्य उपन्यास ‘निष्कासन’ एवं ‘नमो अंधकारम्’ हैं।

उनके कहानी संग्रहों में ‘सपाट चेहरे वाला आदमी’, ‘सुखांत’, ‘प्रेमकथा का अंत न कोई’, ‘माई का शोकगीत’, ‘धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे’, ‘तू फू’, ‘जलमुर्गिर्यों का शिकार’ शामिल हैं। ‘अगली शताब्दी के नाम’, ‘एक और भी आदमी है’, ‘युवा खुशबू’, ‘सुरंग से लौटते हुए (लंबी कविता)’, ‘तुम्हारे लिए’, ‘एक अनाम कवि की कविताएँ’ उनके कविता संग्रह हैं। उन्होंने ‘यमगाथा’ नाम से एक नाटक लिखा था।

उन्होंने ‘निराला : आत्महंता आस्था’, ‘महादेवी’, ‘मुक्तिबोध : साहित्य में नई प्रवृत्तियाँ’ आदि आलोचना ग्रन्थ भी लिखे। सिंह को उत्तर प्रदेश के शीर्ष सम्मान भारत भारती से सम्मानित किया जा चुका है। उन्हें भारतेंदु सम्मान, शरद जोशी स्मृति सम्मान, कथाक्रम सम्मान, साहित्य भूषण सम्मान से भी नवाजा जा चुका है।

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हिन्दी कहानी जगत के चार में से दूसरे यार दूधनाथ सिंह का निधन

नयी दिल्ली : हिन्दी कहानी जगत ‘‘चार यार’’ के नाम से मशहूर लेखकों में शामिल वरिष्ठ साहित्यकार दूधनाथ सिंह का निधन हो गया। वह 81 वर्ष के थे।

पारिवारिक सूत्रों ने बताया कि दूधनाथ सिंह पिछले कुछ समय से बीमार थे। वह प्रोस्टेट कैंसर से ग्रस्त थे। उनका निधन इलाहबाद के एक निजी अस्पताल में हुआ। उनका अंतिम संस्कार आज इलाहाबाद में हुआ था। सिंह का जन्म 17 अक्टूबर 1936 को उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के सोबंथा में हुआ। उन्होंने उपन्यास, कहानी, नाटक, संस्मरण, कविता, आलोचना, संपादन आदि विधाओं में अपना रचनाकर्म किया।

हिन्दी कहानी में दूधनाथ सिंह ‘चार यार’ में शामिल थे। इसके अन्य तीन कहानीकार रवीन्द्र कालिया, ज्ञानरंजन और काशीनाथ सिंह हैं। कालिया का भी निधन हो चुका है।

दूधनाथ सिंह ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से एमए किया और यहीं वह हिंदी के अध्यापक नियुक्त हुए। 1994 में सेवानिवृत्ति के बाद से लेखन और संगठन में निरंतर सक्रिय रहे। उनका अंतिम उपन्यास ‘आखिरी कलाम’ काफी चर्चित रहा। उनके अन्य उपन्यास ‘निष्कासन’ एवं ‘नमो अंधकारम्’ हैं।

उनके कहानी संग्रहों में ‘सपाट चेहरे वाला आदमी’, ‘सुखांत’, ‘प्रेमकथा का अंत न कोई’, ‘माई का शोकगीत’, ‘धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे’, ‘तू फू’, ‘जलमुर्गिर्यों का शिकार’ शामिल हैं। ‘अगली शताब्दी के नाम’, ‘एक और भी आदमी है’, ‘युवा खुशबू’, ‘सुरंग से लौटते हुए (लंबी कविता)’, ‘तुम्हारे लिए’, ‘एक अनाम कवि की कविताएँ’ उनके कविता संग्रह हैं। उन्होंने ‘यमगाथा’ नाम से एक नाटक लिखा था।

उन्होंने ‘निराला : आत्महंता आस्था’, ‘महादेवी’, ‘मुक्तिबोध : साहित्य में नई प्रवृत्तियाँ’ आदि आलोचना ग्रन्थ भी लिखे। सिंह को उत्तर प्रदेश के शीर्ष सम्मान भारत भारती से सम्मानित किया जा चुका है। उन्हें भारतेंदु सम्मान, शरद जोशी स्मृति सम्मान, कथाक्रम सम्मान, साहित्य भूषण सम्मान से भी नवाजा जा चुका है।

 

शुभजिता

शुभजिता की कोशिश समस्याओं के साथ ही उत्कृष्ट सकारात्मक व सृजनात्मक खबरों को साभार संग्रहित कर आगे ले जाना है। अब आप भी शुभजिता में लिख सकते हैं, बस नियमों का ध्यान रखें। चयनित खबरें, आलेख व सृजनात्मक सामग्री इस वेबपत्रिका पर प्रकाशित की जाएगी। अगर आप भी कुछ सकारात्मक कर रहे हैं तो कमेन्ट्स बॉक्स में बताएँ या हमें ई मेल करें। इसके साथ ही प्रकाशित आलेखों के आधार पर किसी भी प्रकार की औषधि, नुस्खे उपयोग में लाने से पूर्व अपने चिकित्सक, सौंदर्य विशेषज्ञ या किसी भी विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें। इसके अतिरिक्त खबरों या ऑफर के आधार पर खरीददारी से पूर्व आप खुद पड़ताल अवश्य करें। इसके साथ ही कमेन्ट्स बॉक्स में टिप्पणी करते समय मर्यादित, संतुलित टिप्पणी ही करें।