नयी दिल्ली : अगर दो बालिग अपनी मर्जी से शादी करते हैं तो इसमें किसी को दखलअंदाजी करने का कोई हक नहीं है। खाप पंचायत की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर से ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि शादी को लेकर खाप पंचायतों का कोई भी फरमान गैरकानूनी है। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा है कि जब तक केंद्र सरकार इस मसले पर कानून नहीं लाती, तब तक कोर्ट का आदेश प्रभावी रहेगा। सुप्रीम कोर्ट में गैर सरकारी संस्था शक्ति वाहिनी ने खाप पंचायतों के खिलाफ याचिका दायर की थी।
शक्ति वाहिनी ने सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में मांग की थी कि केंद्र और राज्य सरकारों को ऑनर किलिंग रोकने के मामलों पर रोक लगाने के लिए निर्देश जारी करे। खाप पंचायत मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यों वाली बेंच कर रही है और इस बेंच की अध्यक्षता मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्र कर रहे थे। सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यों वाली बेंच की अध्यक्षता खुद चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा कर रहे थे। इस बेंच में जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ भी थे। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 7 मार्च को भी कहा था कि जब दो बालिग लड़का-लड़की अपनी मर्जी से शादी करते हैं तो रिश्तेदार या तीसरा पक्ष इसमें दखल नहीं दे सकता और न ही उनके खिलाफ हिंसा कर सकता। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि लड़का या लड़की की पृष्ठभूमि क्या है या वे किसी वर्ग से ताल्लुक रखते हैं। चीफ जस्टिस ने यह भी कहा था कि मैं किसी जाति या ग्राम पंचायत को खाप कहना पसंद नहीं करूंगा बल्कि लोगों का समूह कहना उचित होगा।