शिक्षा में एक सकारात्मक चिंतन और दृष्टिकोण का होना बेहद जरूरी है

अध्यापन उनका कार्यक्षेत्र है मगर उनका मन शोध में ज्यादा लगता है। पूरे ब्रह्मांड को जानने की रुचि गहरी है तो इन दिनों वह इसी काम में व्यस्त हैं मगर अपनी संस्था सोदपुर सॉलिडेरिटी सोसायटी और उसकी शाखा भाषा मंच के जरिए वे कला और साहित्य के संबंध को और पुख्ता करती रहती हैं। इसके साथ ही वे एक प्री प्राइमरी स्कूल भी चलाती हैं। हम बात कर रहे हैं लॉरेटो कॉलेज की असिस्टेंट प्रोफेसर और सोदपुर सॉलिडेरिटी सोसायटी की सचिव राखी राय हल्दर की जिनसे इस बार अपराजिता आपकी मुलाकात करवाने जा रही हैं। प्रस्तुत हैं बातचीत के चुनिंदा टुकड़े –

 घर के वातावरण से मिली अध्यापन की प्रेरणा

पिता वायुसेना में अधिकारी थे और इस वातावरण में उनसे मैंने अनुशासन और सामाजिक कार्य करने की प्रेरणा मिली है। अध्यापन मेरे लिए विद्यालय जीवन से ही सामाजिक कार्य का अंग था। यह पसंद था और यही कारण बना कि मैंने अध्यापन को चुना।

स्त्री चेतना को प्रोत्साहित करने वाले साहित्य में सशक्तीकरण के मोती हैं

साहित्य के सागर में स्त्री रूप के अलग – अलग मोती हैं। मेरा मानना है कि जो साहित्य स्त्रीवाद को नहीं बल्कि स्त्री चेतना को प्रोत्साहित करता है, उसमें सशक्तिकरण के उज्ज्वल मोती हैं। स्त्री चेतना इस बात का एहसास दिलाती है कि दुनियादारी की कड़ी धूप में स्त्री छांव बन सकती है। संवेदनाओं के नम होते ही परिवार की धुरी बनकर स्वाभिमान के साथ जीने की ताकत रखती है। स्त्री चेतना स्त्री को मर्यादा या नियमों का हवाला देकर बाँधने वालों को शालीनता से कड़ा जवाब देना सिखाती है। महादेवी के साहित्य में स्त्री को गरिमामय जीवन दर्शन देने की ताकत है। अनामिका की कविता में स्त्री की मुखरता स्त्री सशक्तीकरण के नए आयाम खोलती है।

दूसरी लड़कियों के संघर्ष में साथ दें शिक्षित लड़कियाँ

आज लड़कियों की सबसे बड़ी चुनौती है कि वह आत्मशक्ति को पहचान कर विवेक और कार्यकुशलता के साथ आगे बढ़े। शिक्षित लड़कियों को अपना जीवन सार्थक बनाने की दृष्टि विकसित करनी होगी और खुद को उन लड़कियों का साथ देने के लिए तैयार भी करना होगा जो खुली हवा में साँस लेने के लिए अपने पंख फड़फड़ा रही हैं।

कला का विशुद्ध आनंद प्राप्त करें कलाकार, यही हमारा प्रयास है

सोदपुर सॉलिडेरिटी सोसायटी का विजन और मिशन है कि वह शिक्षा, कला और संस्कृति का व्यावहारिक और सृजनात्मक प्रयासों से लिकास करे। हम चाहते हैं कि कला बड़े प्रमोटरों के चंगुल से बाहर निकले और वह बड़े आयोजनों और दर्शकों की मोहताज न रहे। कलाकार अपनी प्रतिभा के लिए यश और धन कमाने की मानसिकता से दूर कला की विशुद्ध साधना के जरिए सृजन के आनंद का अनुभव करे। हमारी सॉलिडेरिटी डांस अकादमी रवींद्र भारती विश्वविद्यालय, ममता शंकर तथा कलावती देवी की छात्रा नीलांजना सरकार के नेतृत्व में इसी उद्देश्य से काम कर रही है। जीवन शैली से जुड़े सकारात्मक के प्रसार के लिए हर रोज सुबह जनता के लिए निःशुल्क प्राणायाम, ध्यान और संबंधित कार्यशालाएं आयोजित कर रही है। प्री – प्राइमरी स्तर की शिक्षा एवं शिक्षण पद्धति के स्तर पर भी हमारी संस्था व्यावहारिक स्तर पर शोधकार्य कर रही है।

आज शिक्षक और विद्यार्थियों के संबंधों पर बाजार का काला साया है

आज शिक्षक और विद्यार्थियों के संबंधों पर बाजार का काला साया है। दोनों का अहं, शिक्षकों का आजीविका कमाने के लिए पढ़ाने और विद्यार्थियों की आजीविका कमाने के लिए डिग्री हासिल करने की मजबूरी का बोझ दोनों का संबंध ढो रहा है। शिक्षा के केन्द्र में अगर जीवन दर्शन विकसित करने और शिक्षा से हासिल ज्ञान से सार्थक प्रयोग की राहें खोजकर जीवन और समाज को समृद्ध करने का मुद्दा होता तो इस संबंध में श्रद्धा, स्नेह, मैत्री और मिठास होती। शिक्षा अगर विजन दे सके, विद्यार्थियों में सामाजिक – सांस्कृतिक विकास के लिए शोध से रास्ता निकालने की कोशिश की आदत हो तो इस राह से आजीविका कमाने की राह भी निकल सकती है।

जीवन को सार्थक बनाने की चाह होनी चाहिए

हम सब राही हैं। जीवन को सार्थक बनाने की चाहत को कम्पास मानें तो जीवन की नाम उचित – अनुचित के विवेक के माध्यम से किसी उर्वर द्वीप की खोज कर सकती है।

शुभजिता

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