ऋषि वाल्मीकि हिंदू धर्म के खास गुरुओं में से एक है। ऋषि वाल्मीकि ने श्रीराम के पुत्रों लव-कुश को शिक्षा दी और महान ग्रंथ रामायण की भी रचना की। भगवान श्रीराम के त्यागे जाने के बाद देवी सीता ने अपना जीवन ऋषि वाल्मीकि के आश्रम में ही बिताया था और मान्यता है कि यहीं पर लव-कुश का जन्म भी हुआ था।
कहां है वाल्मीकि आश्रम-
मेरठ से करीब 27 किलोमीटर दूर
बागपत का एक गांव है बलैनी। यह गांव बागपत शहर से भी करीब 23 किलोमीटर दूर है। मेरठ से बागपत की तरफ जाते समय करीब 27 किलोमीटर दूर अंदर की तरफ एक रास्ता जाता है। इस रास्ते पर थोड़ा आगे जाने पर एक आश्रम दिखाई देता है। वही ऋषि वाल्मीकि का आश्रम माना जाता है।
इसी आश्रम में लिखी गई थी रामायण
मान्यता है कि यही वह जगह है, जहां ऋषि वाल्मीकि ने रामायण जैसे महान ग्रंथ की रचना की थी। माना जाता है कि श्रीराम के त्यागे जाने के बाद माता सीता इसी आश्रम में आकर रही थीं। यहीं पर उन्होंने लव-कुश को जन्म दिया था।
हिंडन नदी के पास स्थित है आश्रम
ऋषि वाल्मीकि और माता सीता से संबंधित होने के कारण यह जगह बहुत ही पवित्र मानी जाती है। यहां पर हिंडन नाम की नदी बहती है, जिसे गंगा का ही एक रूप माना जाता है। इसी नदी के पास यह आश्रम स्थापित है। आश्राम के परिसर भी आज भी माता सीता का मंदिर स्थापित है।
मौजूद है माता सीता की रसोई
हिंडन नदी के किनारे बसे इस स्थान पर एक सीता रसोई भी बनी हुई है। यहीं पर सीता जी भोजन बनाती थी। माना जाता है कि आश्रम में मौजूद बर्तन वही हैं, जिनका उपयोग माता सीता खाना बनाने में करती थीं।
(साभार – दैनिक भास्कर)