भारतीय भाषा परिषद् सभागार में हाल ही में कहानी और कविता के अभिनयात्मक पाठ का आयोजन किया गया। कहानी और कविता का अभिनयात्मक पाठ उनके गूढ़ अर्थों को और अच्छी तरह प्रेषित करने में एक महत्वपूर्ण कारक बन सकता है l इस तरह के पाठ से श्रोता नई ध्वनियों और नए बिम्बों से स्वतः जुड़ने लगता है क्योंकि हर अभिनेता अपने वाचन से उसके कई मर्म खोलता है और इसलिए कई अलग अलग बिम्बों की सृष्टि होती हैl
इसलिए लिटिल थेस्पियन ने कहानी और कविता की पाठ प्रस्तुति में अभिनय पक्ष की महत्ता को एक आवश्यक अंग मानते हुए भारतीय भाषा परिषद् के साथ मिलकर इसके प्रशिक्षण के लिए पिछले अगस्त 2016 से तीन महीने का एक सर्टिफिकेट कोर्स प्रारम्भ किया है जिसकी कक्षा प्रति शनिवार लिटिल थेस्पियन की निर्देशिका श्रीमती उमा झुनझुनवाला की निगरानी में होती है l दूसरे सत्र में कुल 15 प्रशिक्षार्थी थे। परीक्षार्थियों ने अमृता प्रीतम की बू, हरिशंकर परसाई की एक सुलझा आदमी, प्रेमचंद की मोटर के छींटे, रवींद्रनाथ टैगोर की छुट्टी और असगर वजाहत की गिरफ्त का पाठ किया। कविताओं में अयोध्यासिंहउपाध्यायहरिऔध – आँख का आँसू , भगवतीचरणवर्मा – मैं कब से ढूँढ़ रहा हूँ, महादेवी वर्मा – शून्य मंदिर में, नागार्जुन – मेरी भी आभा है इसमें, भवानीप्रसादमिश्र – आँखें बोलेंगी, केसरीनाथत्रिपाठी – अनजानी राह, विश्वनाथप्रसादतिवारी – कैसे लोग थे हम, अमृताप्रीतम – साल मुबारक, रघुवीरसहाय – गुलामी, सर्वेश्वरदयालसक्सेना – उठ मेरी बेटी सुबह हो गई, सर्वेश्वरदयाल सक्सेना – फसल, शमशेरबहादुरसिंह – घिर गया है समय का रथ, कुमारअंबुज – मुश्किल तो मेरी है, और निर्मलातोदी – इस तरह मैं पढ़ी गयीं। इस सत्र के निर्णयाक सुप्रसिद्ध रंगकर्मी श्री एस. एम्. अज़हर आलम, मंजू श्रीवास्तव तथा उमा झुनझुनवाला थे l कार्यक्रम के अंत में भारतीय भाषा परिषद् के उपाध्यक्ष श्री जे. पी. टाटिया ने अतिथियों को पुष्प गुच्छ देकर उनका धन्यवाद ज्ञापन किया तथा परिषद् की सचिव श्रीमती बिमला पोद्दार ने सभी प्रशिक्षार्थियों का अभिनन्दन किया l श्री अजहर आलम तथा श्रीमती मंजू श्रीवास्तव ने प्रशिक्षार्थियों को सर्टिफिकेट बाँटे l अगला सत्र मई के आख़िर सप्ताह से आरम्भ होंगे l अगले सत्र के लिए प्रवेश चालू है l