नीलांबर द्वारा आयोजित चार दिवसीय साहित्योत्सव लिटरेरिया एक नयी उम्मीद और विश्वास की जमीन देता गया। साहित्योत्सव की शुरुआत राष्ट्रीय परिसंवाद से हुई। इस परिसंवाद में सांस्कृतिक राष्ट्रवाद, इतिहास बोध तथा वर्चस्व की राजनीति विषय पर सारगर्भित चर्चा हुई। संगोष्ठी को संबोधित करते हुए आलोचक तथा प्रोफेसर पंकज चर्तुवेदी ने फासीवाद के बढ़ते खतरों से अवगत करवाया। उन्होंने कहा कि हमें प्रतिक्रियावादी सांस्कृतिक राष्ट्रवाद से बचाना होगा। प्रेसिडेंसी विश्वविद्यालय के प्रोफेसर तथा आलोचक वेद रमण पांडेय ने सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की व्याख्या करते उसे यूरोप की देन बताया और प्रख्यात आलोचक रामविलास शर्मा के उद्धरण के साथ अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि रामविलास शर्मा ने भारत में राष्ट्रवाद की मुक्कमल तस्वीर रखी।
विश्व में एक छवि बनाने के लिए भारत को एक पहचान की जरूरत है और परम्परा को समझने के लिए संस्कृत सीखनी चाहिए। सांस्कृतिक राष्ट्रवाद में सबकी सम्मिलित भागीदारी जरूरी है और वह किसी एक राजनीतिक पार्टी की देन नहीं है। युवा आलोचक राहुल सिंह ने कहा कि आज सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की भूमिका वर्चस्ववादी राजनीति तय कर रही है। परिसंवाद की अध्यक्षता करते हुए भारतीय भाषा परिषद के निदेशक तथा वरिष्ठ आलोचक डॉ. शम्भुनाथ ने कहा कि भारत एक बहुसांस्कृतिक राष्ट्र है, यहां की सर्वसमावेशी संस्कृति ही हमारी एकता की आत्मा है।
समारोह का उद्घाटन अहाना ठाकुरता के नृत्य से हुआ। स्वागत भाषण नीलांबर के अध्यक्ष डॉ. विमलेश त्रिपाठी ने दिया। परिसंवाद का संचालन खिदिरपुर कॉलेज की विभागाध्यक्ष डॉ. इतू सिंह ने एवं धन्यवाद ज्ञापन संजय जायसवाल ने दिया।
13 अक्टूबर लिटरेरिया के दूसरे दिन कविता कोलाज, माइम, ‘एक रोज’ नाटक का मंचन और काव्य पाठ का आयोजन किया गया। इस कविता कुम्भ में वरिष्ठ कवि मंद्राकांता सेन, मदन कश्यप, कुमार अम्बुज, पंकज चतुर्वेदी, शहंशआह आलम, पूनम विश्वकर्मा, विनय सौरभ, विरू सोनकर, पंखुरी सिन्हा, प्रशांत विप्लवी, हेमन्त देवलेकर, नीलकमल, रश्मि भारद्वाज, मनीषा झा,राज्यवर्द्धन, कल्पना झा, निशांत, समेत कई वरिष्ठ कवियों ने कविता पाठ किया। दूसरी तरफ विहाग वैभव, गौरव पांडेय, मुकेश कुमार, अंकिता रासुरी अन्य युवा कवियों ने भी प्रभावित किया। इस अवसर पर कवि हेमन्त देवलेकर के काव्य संग्रह गुल मकई का लोकार्पण भारतीय भाषा परिषद के निदेशक तथा वरिष्ठ आलोचक शम्भुनाथ ने किया। हेमन्त देवलेकर की इस कविता संग्रह की कुछ कविताओं पर एक नीलांबर द्वारा कविता कोलाज प्रस्तुत किया गया। इसके अतिरिक्त माइम और नाटक “एक रोज” का मंचन भी किया गया। ममता पांडेय द्वारा निर्देशित नाटक एक रोज में – नीलू पांडेय ने एकल अभिनय किया तथा माइम में सुशांत दास, पंकज सिंह, प्रियंका सिंह, निधि पांडेय, मधु सिंह, स्नेहा सिंह, और उर्मि ने अभिनय किया ।
लिटरेरिया के तीसरे दिन एक सांझ कहानी के अंतरगत वंदना राग और चंदन पांडेय की कहानियों पर आधारित फिल्मों की प्रदर्शनी हुई । जिसमें ऋतेश पांडेय, विमलेश त्रिपाठी, कल्पना झा, आशा पांडेय, विशाल पांडेय ने अभिनय किया । इसके साथ ही विहान ड्रामा वर्क्स द्वारा नाटक हास्यचूड़ामणि का मंचन हुआ । कार्यक्रम का सफल संचालन आनंद गुप्ता, निर्मला तोदी, संजय जायसवाल एवं ममता पांडेय ने किया। धन्यवाद ज्ञापन मनोज झा ने दिया।
लिटरेरिया कोलकाता के चौथे दिन शरत सदन सभागार में अ टेल आफ फिश माइम की प्रस्तुति हुई। सुशांत दास ने इसमें एकल अभिनय किया। नीलाम्बर के सदस्यों की ओर से अष्टभुजा शुक्ल की कविता पर आधारित कविता कोलाज प्रस्तुत किया गया। इस अवसर पर युवा लेखक विमलेश त्रिपाठी की किताब केदारनाथ सिंह, लोक संस्कृति और आधुनिकता का द्वंद्व का विमोचन कवि कुमार अम्बुज ने किया।
रश्मि बंद्योपाध्याय के निर्देशन में एक अभिनव भाव नृत्य की प्रस्तुति हुई। नीलाम्बर संस्था की ओर से प्रख्यात नाट्यकर्मी रवि दवे की स्मृति में रवि दवे स्मृति सम्मान – 2017 कोलकाता की नाट्य संस्था लिटिल थेस्पियन को रंगमंच में विशिष्ट योगदान के लिए दिया गया।
इस अवसर पर भोपाल की नाट्य संस्था विहान ड्रामा ने अमृता प्रीतम के जीवन पर आधारित नाटक अमृता का मंचन किया गया। इस आयोजन में देश के अलग अलग हिस्से से आए साहित्यकारों और संस्कृतिकर्मियों ने उत्साह के साथ हिस्सा लिया।
कार्यक्रम का संचालन कल्पना झा और धन्यवाद ज्ञापन रितेश पांडे ने दिया। इस कार्यक्रम को सफल बनाने में ममता पांडे, भरत साव, अवधेश, दीपक ठाकुर, राहुल शर्मा, विशाल पांडे, पूनम सिंह, सुजीत राय, पंकज सिंह, प्रिया पांडे, निधि पांडे, मधु सिंह, प्रियंका सिंह आदि ने भरपूर सहयोग दिया।